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इस गांव में आने के बाद लगता है कि ये गांव आज भी आजादी के पहले के वक्त से गुजर रहा है…जानिए क्यों

locationसीकरPublished: Feb 12, 2018 04:17:25 pm

Submitted by:

vishwanath saini

महिलाओं ने बताया कि नेताओं व अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया है पर आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला।

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Drinking water problem in cold season

 

मावंडा. देखा जाये तो जमाना बदल गया समय के साथ लोगों के रहन सहन मेें कई सुविधाएं शामिल हुई है। सोशल मीडिया के साथ कई बदलाव आए लोग देसी खाना भूलकर फास्ट फूड के पीछे व मटके का पानी छोड़ फिल्टर पानी पीना पसन्द करते हैं लेकिन इस गांव में आकर लगता है कि ये गांव आज भी उस वक्त में जी रहा है जिस वक्त अंग्रेजो का राज हुआ करता था। लोग पीने के पानी को भी तरसते थे। जी हां हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सीकर जिले के मावंडा क्षेत्र में बसे ग्राम जीलो की जहां आज भी ग्रामीण पीने का पानी गांव से दूर स्थित कुएं से निकालकर लाते हैं।

 

ग्राम जीलो में जलदाय विभाग की अनदेखी के कारण ग्रामीण दूर दराज के खुले कुओं से रोजाना पेयजल ला रहे हैं। ग्रामीणों का पूरा दिन पानी लाने में गुजर जाता है। लोगों ने बताया कि आजादी के बाद भी यह खुले कुओं से पानी खींचा जा रहा है। महिलाओं ने बताया कि नेताओं व अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया है पर आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला। ग्राम सरपंच छाजू गुर्जर ने बताया कि सन् 2014 में पेयजल के लिए नीमकाथाना के तत्कालीन विधायक रमेश खंडेलवाल ने साठ लाख की योजना का शिलान्यास किया था, पर विधानसभा चुनावों के बाद योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

 

इसके बाद 28 अप्रेल 2016 को रात्रि चौपाल में तत्कालीन जिला कल्क्टर एलके सोनी ने नीमकाथाना विधायक कोटे से एक ट्यूबवेल लगाने की घोषणा की थी वह भी नहीं लगी। इसके बाद विधायक प्रेम सिंह बाजौर ने गौरव पथ के शिलान्यास के समय दो ट्यूबवेलों की घोषणा करी वे भी आज तक नहीं लगी है। जीलो के गुडाबरा पहाड़ी क्षेत्र में बने भैंरव मन्दिर परिसर में लगे हैंडपंप पर कुछ बकरियां आदतन रोजाना ताजा व शुद्ध पानी पीती हैं। बकरी चराने वालों ने बताया की कुछ बकरियों की आदत है कि वे होदी का पानी नहीं पीती हैं। ऐसे में सरकार ग्रामीणों को भी शुद्ध पानी उपलब्ध करवाए।

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