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Nipah virus की आशंका से सीकर में अलर्ट, इन लोगों पर रहेगी सबसे खास नजर

locationसीकरPublished: May 25, 2018 10:20:56 am

Submitted by:

vishwanath saini

Nipah Virus alerts in Sikar : निपाह वायरस  के खतरे को देखते हुए सीकर स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है। 

Nipah Virus alerts in Sikar Rajasthan

Nipah Virus alerts in Sikar Rajasthan

सीकर. निपाह वायरस की वजह से केरल में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इस वायरस के खतरे को देखते हुए सीकर स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है। विभाग ने ऐसे वायरस से निपटने की तैयारी की है। तैयारियों को लेकर गुरुवार को सीएमएचओ कार्यालय में जिले के खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में सीएमएचओ डॉ. अजय चौधरी ने निदेशालय से मिली निपाह वायरस अन्तरिम गाइड लाइन के अनुसार चिकित्सा अधिकारियों और नर्सिंग स्टॉफ को सतर्क रहने के निर्देश दिए। इस दौरान गाइड लाइन के अनुसार एक्युट एनसिफेलाईटिस केसेज सर्विलेंस बढ़ाने पर जोर दिया गया।

 

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बुखार के साथ बेहोश होने वालों पर विशेष नजर

निपाह वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति तेज बुखार व जांच में मलेरिया रिपोर्ट न होना, बहकी बातें करना, बेहोशी आना, असमंजस में रहता है। अचानक से बुखार, सिरदर्द, मसल पेन, उल्टी, गर्दन का भारीपन, फोटो फोबिया, कोमा एवं बेहोशी होती है।

 

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मनुष्य के मामलों में इसका प्राथमिक उपचार इंटेंसिव सपोर्टिंक केअर (सघन सहायक देखभाल) के जरिए किया जा सकता है। किसी रोगी में बुखार के साथ बेहोशी जैसे लक्षण वाले रोगियों को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया जाएगा। जिससे ऐसे लक्षण वाले रोगी जो प्रभावी क्षेत्र में 21 दिन तक रहे हो उनकी तुरंत जांच एवं एक्युट एनसिफेलाईटिस जांच के बाद निपाह वायरस जांच करवाई जाए। फिलहाल यह जांच राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे में होती है।


यह है निपाह वायरस

निपाह पशुओं से मनुष्य में फैलता है। इससे पशु और मनुष्य दोनों गंभीर रूप से बीमार हो सकते है। इस विषाणु के स्वाभाविक वाहक चमगादड हैं। निपाह वायरस से मुनष्य में कई बिना लक्षण वाले संक्रमण से लेकर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और प्राणघातक इनसेफेलाइटिस तक हो सकता है। यह विषाणु संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से इसका पता चला था। वहीं से इस वायरस को निपाह नाम मिला। साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। कुछ लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को ले जाने वाली चमगादड़ थी, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।

स्वाइन फ्लू की तरह इलाज

इंसानों में निपाह इंफेक्शन से श्वांस से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। इस बीमारी के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक निपाह वायरस का इंफेक्शन एंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिससे दिमाग को नुकसान होता है। स्वाइन फ्लू की व्यवस्था की तरह ही निपाह वायरस से निपटने की तैयारी की गई है।

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