scriptना हाथों में गलव्ज, ना सर्जिकल मास्क, मुस्तैदी से सीमा पर तैनात जवान | No hands globs, no surgical masks, soldiers stationed on near border | Patrika News

ना हाथों में गलव्ज, ना सर्जिकल मास्क, मुस्तैदी से सीमा पर तैनात जवान

locationसीकरPublished: Apr 23, 2020 07:02:14 pm

Submitted by:

Vikram

सीकर. राजस्थान का भीलवाड़ा मॉडल पूरे भारत में प्रसिद्ध हुआ है, लेकिन सीकर पुलिस और प्रशासन ने खुद का मॉडल अपना कर अभी तक आमजन को सुरक्षित रखा हुआ है। शेखावाटी हमेशा से ही संघर्ष ही धरती रही है। सीकर के साथ चार जिलों की सीमाएं लगी हुई है।

योद्धाओं ने कोरोना वायरस को बाहरी सीमा पर ही रोक कर रखा

योद्धाओं ने कोरोना वायरस को बाहरी सीमा पर ही रोक कर रखा

सीकर. राजस्थान का भीलवाड़ा मॉडल पूरे भारत में प्रसिद्ध हुआ है, लेकिन सीकर पुलिस और प्रशासन ने खुद का मॉडल अपना कर अभी तक आमजन को सुरक्षित रखा हुआ है। शेखावाटी हमेशा से ही संघर्ष ही धरती रही है। सीकर के साथ चार जिलों की सीमाएं लगी हुई है। सीकर को छोड़कर पड़ोसी जिले चूरू, झुंझुनूं, नागौर और जयपुर में लगातार कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही सीकर के पाटन से हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले की सीमा भी लगी हुई है। सीकर पुलिस के जवान सीमाओं पर योद्धाओं की तरह से डटे हुए है। दिन-रात सीमा पर पुलिस के जवान बेरीकेडिंग कर सख्ती से आने-जाने वालों से निपट रहे है। हैरानी की बात है कि इनके पास हाथों में ना तो गलब्स है और न ही मुंह पर सर्जिकल मास्क। बस केवल डंडे का ही सहारा है। कहीं आसपास के गांव से विवाद की सूचना आए तो उसे भी सुलझाना पड़ता है। इन योद्धाओं ने कोरोना वायरस को जिले की बाहरी सीमा पर ही रोक कर रखा है। बिना अनुमति आने वाले वाहनों को वापस ही भेज दिया जाता है। जिले में अभी तक दो ही मामले सामने आए है। उनमें भी एक की रिपोर्ट निगेटिव आने पर डिस्चार्ज कर दिया है।
जानें ऐसे सजग है हमारे योद्धा जो दिन-रात डटे हुए है

सरगोठ नाके पर परीक्षण के बिना इंट्री नहीं
जयपुर सीमा पर रींगस थाने की ओर से सरगोठ पर नाका है। थानाधिकारी श्रीचंद सिंह दिन में खुद मौजूद रहते है। साथ में मेडिकल टीम भी रहती है। जयपुर से आने वाले किसी भी वाहन चालक को बिना मेडिकल परीक्षण के आने नहीं दिया जाता है। दिन में १० और रात को भी १० पुलिसकर्मी तैनात रहते है। उन्होंने बताया कि हाइवे पर वाहनों की अधिक आवाजाही बनी हुई है। यहीं से सीकर, चूरू व झुंझुनूं, बीकानेर, हनुमानगढ़ के लिए काफी संख्या में वाहन निकलते है। निजी वाहनों को अनुमति होने पर ही आने दिया जाता है। अधिकतर ट्रक व मालवाहन भी आते-जाते है।
हॉटस्पाट नवलगढ़ को दे रहे टक्कर
कोरोना वायरस का हॉटस्पाट नवलगढ़ बनता जा रहा है। सीकर जिले का आखिरी नाका बेरी में लगा हुआ है। दादिया थानाधिकारी चेतराम खुद दिन में नाके पर मौजूद रहते है। साथ में चार सिपाही भी है। केवल माल वाहनों को छोड कर किसी को भी नवलगढ़ से आने नही दिया जाता है। वहीं उदयपुरवाटी से लगती सीमा के पास रामपुरा गांव में रघुनाथगढ़ चौकी की ओर से दूसरा नाका लगता है। उन्होंने बताया कि नवलगढ़ से कई गावों के बीच से कच्चा रास्ता भी आता है। रामनगर चौराहे के नाके पर एएसआई दिलीप सिंह मुस्तैदी से खड़े रहते है।
जयपुर ग्रामीण से खाचरियावास से बिना पास वाहन लेकर आते है
दांतारामगढ़ थाने की जयपुर ग्रामीण रेनवाल से सीमा लगती है। खाचरियावास चौकी में 6 पुलिसकर्मी है। कल्याणपुरा गावं में नाकाबंदी की जा रही है। दिन में सिपाही श्रीचंद, कैलाश व रात को चौकी प्रभारी बंशीधर व सुभाष रहते है। मुंह पर गमछा लगाए सिपाही श्रीचंद जाखड ने बताया कि लोग बिना पास वाहन लेकर आते है। उन्हें वापस भेज देते है। सुबह आठ से रात को आठ और रात को आठ से सुबह आठ बजे तक नाका लगाते है। लोग रास्ता बदल कर आने का प्रयास करते है।
मंगलूणा चौकी में केवल तीन सिपाही
चूरू जिले के सालासर से सीकर की सीमा लगी हुई है। नेछवा थाने की मंगलूणा चौकी बनी हुई है। चौकी में केवल तीन सिपाही है। हैडकांस्टेल सुभाष ने बताया कि जूलियासर में 22 मार्च से नाकाबंदी चल रही है। दिन में सिपाही सुरेंद्र के साथ नाकाबंदी करते है। रात को सिपाही दीपक एक एनसीसी कैडेटस के साथ रहते है। तीनों आपस में मिलकर एक-दूसरे का खाना बनाते है।

डीडवाना से लगी हुई सिगरावट चौकी
लोसल थाने की सिगरावट चौकी नागौर जिले के डीडवाना से लगी हुई है। डीडवाना-मोरडूंगा तिराहे पर नाका लगता है। डीडवाना की सीमा यहां से दो किलोमीटर दूर है। दिन में नाके पर तीन सिपाही तैनात रहते है। रात को अन्य सिपाही मोर्चा संभालते है। लोग रास्ता बदल कर सीकर में आने का प्रयास करते है। एक-दूसरे का खाना बनाकर मदद करते है।
दिन में नाका और रात को खाना
जिले की सीमाओं से लगती चौकियों में स्टाफ काफी कम है। कहीं तीन और कहीं पर चार पुलिसकर्मियों का ही स्टाफ है। दो-दो पुलिसकर्मी नाका संभालते है। दिन में पुलिसकर्मी नाकों पर तैनात रहते है। रात को नाके पर जाने वाले पुलिसकर्मी खाना बनाते है। इसके बाद वे सुबह जाते समय खाना बनाते है।
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