सरगोठ नाके पर परीक्षण के बिना इंट्री नहीं
जयपुर सीमा पर रींगस थाने की ओर से सरगोठ पर नाका है। थानाधिकारी श्रीचंद सिंह दिन में खुद मौजूद रहते है। साथ में मेडिकल टीम भी रहती है। जयपुर से आने वाले किसी भी वाहन चालक को बिना मेडिकल परीक्षण के आने नहीं दिया जाता है। दिन में १० और रात को भी १० पुलिसकर्मी तैनात रहते है। उन्होंने बताया कि हाइवे पर वाहनों की अधिक आवाजाही बनी हुई है। यहीं से सीकर, चूरू व झुंझुनूं, बीकानेर, हनुमानगढ़ के लिए काफी संख्या में वाहन निकलते है। निजी वाहनों को अनुमति होने पर ही आने दिया जाता है। अधिकतर ट्रक व मालवाहन भी आते-जाते है।
कोरोना वायरस का हॉटस्पाट नवलगढ़ बनता जा रहा है। सीकर जिले का आखिरी नाका बेरी में लगा हुआ है। दादिया थानाधिकारी चेतराम खुद दिन में नाके पर मौजूद रहते है। साथ में चार सिपाही भी है। केवल माल वाहनों को छोड कर किसी को भी नवलगढ़ से आने नही दिया जाता है। वहीं उदयपुरवाटी से लगती सीमा के पास रामपुरा गांव में रघुनाथगढ़ चौकी की ओर से दूसरा नाका लगता है। उन्होंने बताया कि नवलगढ़ से कई गावों के बीच से कच्चा रास्ता भी आता है। रामनगर चौराहे के नाके पर एएसआई दिलीप सिंह मुस्तैदी से खड़े रहते है।
दांतारामगढ़ थाने की जयपुर ग्रामीण रेनवाल से सीमा लगती है। खाचरियावास चौकी में 6 पुलिसकर्मी है। कल्याणपुरा गावं में नाकाबंदी की जा रही है। दिन में सिपाही श्रीचंद, कैलाश व रात को चौकी प्रभारी बंशीधर व सुभाष रहते है। मुंह पर गमछा लगाए सिपाही श्रीचंद जाखड ने बताया कि लोग बिना पास वाहन लेकर आते है। उन्हें वापस भेज देते है। सुबह आठ से रात को आठ और रात को आठ से सुबह आठ बजे तक नाका लगाते है। लोग रास्ता बदल कर आने का प्रयास करते है।
चूरू जिले के सालासर से सीकर की सीमा लगी हुई है। नेछवा थाने की मंगलूणा चौकी बनी हुई है। चौकी में केवल तीन सिपाही है। हैडकांस्टेल सुभाष ने बताया कि जूलियासर में 22 मार्च से नाकाबंदी चल रही है। दिन में सिपाही सुरेंद्र के साथ नाकाबंदी करते है। रात को सिपाही दीपक एक एनसीसी कैडेटस के साथ रहते है। तीनों आपस में मिलकर एक-दूसरे का खाना बनाते है।
डीडवाना से लगी हुई सिगरावट चौकी
लोसल थाने की सिगरावट चौकी नागौर जिले के डीडवाना से लगी हुई है। डीडवाना-मोरडूंगा तिराहे पर नाका लगता है। डीडवाना की सीमा यहां से दो किलोमीटर दूर है। दिन में नाके पर तीन सिपाही तैनात रहते है। रात को अन्य सिपाही मोर्चा संभालते है। लोग रास्ता बदल कर सीकर में आने का प्रयास करते है। एक-दूसरे का खाना बनाकर मदद करते है।
जिले की सीमाओं से लगती चौकियों में स्टाफ काफी कम है। कहीं तीन और कहीं पर चार पुलिसकर्मियों का ही स्टाफ है। दो-दो पुलिसकर्मी नाका संभालते है। दिन में पुलिसकर्मी नाकों पर तैनात रहते है। रात को नाके पर जाने वाले पुलिसकर्मी खाना बनाते है। इसके बाद वे सुबह जाते समय खाना बनाते है।