नन्हों के पोषाहार को भी नहीं छोड़ा…यहां भी कर दिया लाखों का घपला
सीकरPublished: May 20, 2019 05:31:56 pm
आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को मिलने वाले पोषाहार में बड़े घपले का खेल सामने आया है। स्वयं सहायता समूह व विभाग की मिलीभगत से लाखों का घपला हर महीने गुपचुप तरीके से हो रहा है।
नन्हों के पोषाहार को भी नहीं छोड़ा…यहां भी कर दिया लाखों का घपला
सीकर. आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को मिलने वाले पोषाहार में बड़े घपले का खेल सामने आया है। स्वयं सहायता समूह व विभाग की मिलीभगत से लाखों का घपला हर महीने गुपचुप तरीके से हो रहा है। इसके पीछे बड़ी वजह है नामांकन के अनुपात में गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषाहार का वितरण नहीं होना है। कई केन्द्रों पर तो स्वयं सहायता समूहों का बिल बढ़ाने के लिए 15 से 25 फीसदी अतिरिक्त पोषाहार मंगाया जा रहा है। जबकि उसका वितरण महीनों तक नहीं हो रहा है।
पत्रिका टीम ने जिले के 25 आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति देखी तो बेहद ही चौकान वाली हकीकत सामने आई। बच्चों को पानी, बैठने की जगह व शौचालय जैसी मुलभूत सुविधाएं भी नहीं बढ़ पा रही है। इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी विभाग का नेटवर्क लगातार कमजोर भी हुआ है। दूसरी तरफ आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नामांकित और हकीकत में केन्द्र पर आने वाले बच्चों की संख्या में बड़ा अंतर है। विभाग की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि महिला पर्यवेक्षक लगातार केन्द्रों का निरीक्षण कर रही है। लेकिन पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि 45 फीसदी से अधिक केन्द्रों पर मैन्यु के हिसाब से पोषाहार ही नहीं दिया जा रहा है।
इस मामले में आए दिन विभाग को शिकायत भी मिल रही है लेकिन जिम्मेदार अभी भी नहीं चेत रहे है। सीकर जिले में पोषाहार की वजह से पांच साल एक मासूम बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद भी विभाग के जिम्मेदार व्यवस्था को पटरी पर नहीं ला पा रहे है।
नामांकन में फर्जीवाड़ा: आधार फीडिंग का दावा
विभाग में नामांकन फर्जीवाड़े का मामला जिला परिषद की बैठकों में कई बार गूंज चुका है। इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने कई बार दावा किया कि जिलेभर में विशेष अभियान चलाया जाएगा। लेकिन पिछले एक साल में कोई भी अभियान नहीं चलाया गया। हालांकि अब अधिकारियों का दावा है कि आधार से लिंक कराकर नामांकन रेकार्ड को ऑनलाइन किया जाएगा।
जांच पर खानापूर्ति
पिछले साल भी पोषाहार वितरण में अनियमितता और कम पोषाहार के बाद भी रेकार्ड में ज्यादा दिखाने के मामले को लेकर शिकायत हुई थी। उस समय तत्कालीन जिला कलक्टर ने जांच कराने का दावा किया था। लेकिन धोद कार्यालय में दर्ज इन शिकायतों को विभाग ने मनमर्जी से क्लीन चिट दे दी। जबकि कई कार्यकर्ताओं ने खुलेआम स्वयं सहायता समूह व कुछ कर्मचारियों पर आरोप लगाए थे।
ऐसे फर्जीवाड़ा
जिले में लगभग दो हजार आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। एक केन्द्र पर औसतन पोषाहार के जरिए डेढ़ से दो हजार रुपए तक का नुकसान हो रहा है। विभाग को हर साल लाखों रुपए की चपत लगाई जा रही है।