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इंसानों का लॉकडाउन, पक्षियों को सडक़ों पर मिला ‘खुला आसमान’

locationसीकरPublished: Mar 24, 2020 07:02:52 pm

Submitted by:

Gaurav

-शहर बना परिंदों का आंगन-ऐसे दृश्य नहीं दिखे थे पहले, शहर में प्रदूषण व शोर कम होना बना कारण

 सीकर. जयपुर रोड स्थित कृषि उपज मंडी मुख्य मार्ग पर झुंड में पक्षी।    फोटो: पंकज पारमुवाल

सीकर. जयपुर रोड स्थित कृषि उपज मंडी मुख्य मार्ग पर झुंड में पक्षी। फोटो: पंकज पारमुवाल

मैं कबूतर…एक परिंदा जिसे अब मिल चुका हैं पंख फैलाने को खुला आसमां। इससे पहले मैंने नहीं देखा था ऐसा जहां। इंसानों की तरह हर जगह जाने की इजाजत है मुझे। अब मैं सही मायनों में हूं एक स्वतन्त्र परिंदा… एक नभचर।
गौरव सक्सैना

सीकर. लॉकडाउन के चलते इंसानों से खाली हुई सडक़ों पर अब परिंदों का बसेरा है। सडक़ों पर खत्म हो चुके वाहनों के प्रदूषण और शोर ने पक्षियों के स्वतन्त्र विचरण पर सदियों से लगी आई पाबंदी को हटा दिया है। शहर की इन वीरान सडक़ों पर अब ये बेजुबां जी खोल कर कलरव करते दिखाई दे रहे हैं। शहर की सडक़ों पर ये तस्वीरें अब आम हैं जो इससे पहले कभी नहीं देखी गईं।

सडक़ें बनीं आंगन, परिंदों ने लिया बसेरा
शहर के अंदर परकोटे व बाहर सभी जगह सडक़ों पर पसरे सन्नाटे के बीच पक्षी झुंड में दिखाई दे रहे हैं। ये झुंड काफी देर तक बेरोकटोक एक स्थान पर रहते हैं। फिर यही समूह दूसरी सडक़ों पर उडकऱ भी पहुंचते हैं। जयपुर रोड, स्टेशन रोड, जटिया बाजार, घंटाघर क्षेत्र, राणी सती रोड, सांवली रोड समेत शहर की अधिंकाश सडक़ों के किनारे अब इन पक्षियों का बसेरा है।

पक्षी अभ्यारण्य सी गुटरगूं!
सडक़ों के बीचों-बीच बेबाकी से पक्षियों की उपस्थिति का यह दृश्य किसी पक्षी अभ्यारण्य जैसा है। बिल्कुल शांत फिजां में इन पक्षियों की आवाज किसी किले की आवाज जैसी गूंज रही है। बीच बाजार पक्षियों की गुटरगूं को शायद ही सुना गया होगा।

पहले था 100 डेसीबल तक शोर
लॉकडाउन से पहले शहर में ध्वनि प्रदूषण 70 से 100 डेसीबल था जो अब बिल्कुल न्यूनतम स्तर पर आ चुका है। वाहनों की आजावाही लगभग खत्म होने पर ऐसा संभव हो सका है।

लेकिन छतों से खाली पेट उठ रहे परिंदे
सीकर. लॉकडाउन का असर बेजुबां परिंदों के चुग्गे पर भी पड़ रहा है। शहर के बड़े चुग्गा पॉइंटों पर दाना डालने के लिए पहुंचने वाले लोगों की संख्या में एकदम से कमी आने पर अब उनके चुग्गे पर संकट आ खड़ा हुआ है। गोपीनाथ मंदिर, पुरानी बावड़ी, गढ़ क्षेत्र, धर्माणा, बूच्याणी व नेहरू पार्क क्षेत्र समेत करीब शहर के करीब एक दर्जन प्रमुख चुग्गा पॉइंटों पर दाने की कमी के चलते चिडिय़ा, तोते व कबूतर खाली पेट ही उठ रहे हैं। गोपीनाथ मंदिर के महंत सुरेन्द्र गोस्वामी बताते हैं कि सोमवार सुबह दाना डालने के बाद अब मंदिर में मात्र तीन बोरी चुग्गा ही शेष हैं। बेजुबां परिंदों के बारे में सोचने की आवश्यकता है।

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