scriptकोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस की दस्तक | Now Black Fungus knocks after Corona | Patrika News

कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस की दस्तक

locationसीकरPublished: May 17, 2021 06:08:10 pm

Submitted by:

Suresh

संक्रमण के बाद पोस्ट कोविड मरीजों में आ रहे इस बीमारी के लक्षणमरीज की आंख निकालने तक की नौबत आई

How to curb black Fungus or Mucormycosis, PGIMER Director suggests measures: Video

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सीकर. कोरोना संक्रमण से उबर कर आने वालों में अब ब्लैक फंगस ( म्यूकर माइकोसिस) के रोगी सामने आने लगे हैं। जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की दस्तक के साथ ही जिला प्रशासन के सामने एक नई चुनौती आ गई है। चिंताजनक बात है कि कोरोना की बजाए ब्लैक फंगस के मरीजों की मॉर्टिलिटी का प्रतिशत ज्यादा है।
संक्रमण के दौरान स्टेरॉयड की अधिक मात्रा के कारण पिछले तीन चार दिन से कान, नाक व गला रोग विशेषज्ञ के पास ब्लैक फंगस के मरीज पहुंचने लगे हैं। कई मरीजों की आंखों से दिखाई देना ही बंद हो गया है। ऐसे में अब चिकित्सकों के पास केवल रोगी की जान बचाने के लिए आंख को सर्जरी के जरिए बाहर निकालने का ही विकल्प बचा हुआ है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के दौरान कम प्रतिरोधक क्षमता, डायबिटीज के रोगियों या स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल होने से म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस के मामले सामने आते हैं।
हवा से नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क तक इन्फेक्शन
ब्लैक फंगस पहले से ही हवा और मिट्टी में मौजूद रहती है। हवा में मौजूद ब्लैक फंगस के कण नाक में घुसते हैं। वहां से फेफड़ों में और फिर खून के साथ मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। नाक के जरिए ही ब्लैक फंगस का इंफेक्शन साइनस और आंखों तक पहुंचता है। लक्षण होने पर मरीज के सीने या सिर के एक्स-रे या सीटी स्कैन में इन्फेक्शन का कालापन साफ तौर पर दिखता है।
ग्लूकोज की बढ़ जाती है मात्रा
कोरोना संक्रमण के मरीज को स्टेरॉएड दिए जाते हैं। उससे शरीर में ग्लुकोज की मात्रा बढ जाती है और खून में फेरेटिन की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा डायबिटिज, किडनी ट्रांसप्लांट और कोरोना संक्रमित या ऑक्सीजन सपोर्ट पर ज्यादा दिन तक रहने वाले की पहले ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में हवा में पहले से मौजूद फंगस को अनुकूल वातावरण मिल जाता और वह व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
सर्जरी और इंजेक्शन ही उपचार
ब्लैक फंगस का उपचार एंटीफंगल दवाओं से होता है। सर्जरी करके फौरन फंगस की चपेट में आ चुके पार्ट को हटना पड़ता है। चिंताजनक बात है कि सर्जरी से पहले डायबिटीज कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। मरीज की स्टेरॉयड वाली दवाएं कम करनी होंगी और एंटी फंगल थेरेपी देनी होगी। इसमें अम्फोटेरिसिन बी नाम का एंटी फंगल इंजेक्शन भी शामिल है। जिसकी कीमत भी तीन से पांच हजार रुपए प्रति वॉयल की होती और मरीज को इसकी 25 से 30 डोज देनी जरूरी है। इलाज नहीं होने पर संबंधित की मौत तक हो जाती है।
ब्लैक फंगस नया इंफेक्शन नहीं
चिकित्सकों के अनुसार म्यूकर माइकोसिस कोई नया संक्रमण नहीं है। यह माइक्रोमायसीट्स नाम के फंगस से कारण होता है और यह शरीर में तेजी से फैलने के लिए जाना जाता है। कैंसर, एड्स व अन्य कई बीमारी के मरीजों में यह पाया जाता रहा है। इससे पहले इसे जाइगो माइकोसिस नाम से जाना जाता था।
ये हंै लक्षण
चिकित्सकों के अनुसार कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के बाद या पहले एक साइड चेहरे पर सूजन, चेहरे और सिर में तेज दर्द, सूजन वाले स्थान पर सुन्नपन, आंख से कम दिखाई देना और बुखार आना प्रमुख है। इनमें से कोई भी शुरूआती लक्षण हो सकता है। समय रहते उपचार नहीं लेने पर फंगस वाला इलाका पूरी तरह खत्म हो जाता है इसलिए इस रोग के बारे में लक्षण दिखाई देने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए तथा शुरूआत में ही ईएनटी विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेनी बेहद जरूरी है।
अर्ली डायग्नोस जरूरी
ब्लैक फंगस की चपेट में आने वाले मरीज को फौरन शुरूआती लक्षणों पर ही ईएनटी विशेषज्ञ से उपचार के लिए जाना चाहिए। रोग की पहचान के बाद संबंधित पार्ट को सर्जरी से और एंटी फंगल दवा के रूप में एम्फोट्रेसिन बी के इजेंक्शन की निर्धारित मात्रा ली जाए तो ही मरीज का बच पाना आसान होता है।
डा कैलाश पचार, ईएनटी विशेषज्ञ
एंटी फंगल दवा का स्टॉक खत्म हो गया है और सीकर जिले में जयपुर से भी एंटी फंगल दवा के इंजेक्शन मंगवाए जा रहे हैं। ऐसे में केमिस्ट एसोसिएशन ने दवा की उपलब्धता बनाए रखने के लिए टीम बनाई है। दिलीप सिंह राजावत और सुरेंद्र चौधरी की टीम को दवा की आपूर्ति सुचारू रखने का जिम्मा दिया गया है।
– संजीव नेहरा, अध्यक्ष सीकर जिला केमिस्ट एसोसिएशन

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