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अब बन सकेंगे ब्लड़ कम्पोनेंट, अस्पताल प्रशासन ने बनाई फाइल

locationसीकरPublished: Sep 14, 2019 05:50:50 pm

Submitted by:

Puran

स्वीकृति के लिए मिली हरी झंडी तकनीकी सहायक और लैब टेक्निीशियन लगाने को
अब गेंद आरएमएस कमेटी के पाले में, मिले स्वीकृति तो 50 हजार मरीजों को फायदा
एसके अस्पताल से जुड़ा है मामला, पत्रिका ने उठाया था मामला

अब बन सकेंगे ब्लड़ कम्पोनेंट, अस्पताल प्रशासन ने बनाई फाइल

अब बन सकेंगे ब्लड़ कम्पोनेंट, अस्पताल प्रशासन ने बनाई फाइल

सीकर. डेंगू, स्वाइन फ्लू व हीमोफिलीया के मरीजों को सिंगल डोनर प्लेटलेट (एसडीपी), रेंडम डोनर प्लेटलेट ( आरडीपी ) के लिए निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा। राजस्थान पत्रिका में खबर प्रकाशन होने के बाद जिला अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और ब्लड कंपोनेंट यूनिट में एक टेक्निकल सुपरवाइजर और एक लैब टेक्निीशियन की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव बना लिया है और इस प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए जिला कलक्टर से हरी झंडी मिल गई है। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि एसके अस्पताल में सोमवार से दोनो नए कार्मिक ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे और काम सुचारू रूप से शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि जिले सहित प्रदेश में मौसमी बीमारियां बढ़ गई है।
अस्पताल को सात लाख का नुकसान

एसके अस्पताल में हर माह औसतन 1000 यूनिट रक्त एकत्र होता है।। स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से लगाए शिविर के कारण यह संख्या बढ़ जाती है। सात माह पहले कंपोनेंट शुरू होने के दौरान औसतन एक लाख रुपए का राजस्व अस्पताल को दिया गया था। लेकिन तकनीकी सहायक के नहीं होने से पिछले सात माह के दौरान प्लाजमा, एसडीपी और आरडीपी जैसे कंपोनेंट अलग नहीं हुए इससे अस्पताल प्रशासन को करीब सात लाख रुपए का नुकसान हुआ है साथ ही मरीजों को करीब 18 लाख रुपए ज्यादा देने पड़े
अब इन मरीजों को होगा फायदा
डेंगू सरीखी बीमारी में सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों को सेंटर से मुफ्त में प्लेटलेट्स मिल सकेंगी। एनीमिया पीडि़त को आरबीसी लगाने पर बेहतर परिणाम मिलता है। बर्न और ब्लीडिंग वाले मरीज को प्लाजमा दिया जाता है। हीमोफिलिया के मरीज को खून का थक्का जमाने के लिए ग्रेनुलोसाइट कंसंट्रेट लगाया जाता है।
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