वहीं जुर्माना भी तीन लाख के बजाय दस लाख चुकाना होगा। जानकारी के अनुसार जांच के दौरान यदि खाद्य पदार्थों में मिलावट व स्वास्थ्य के हिसाब से अनसेफ की रिपोर्ट आने पर संबंधित मिलावटखोर के खिलाफ एक से तीन साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा तीन व अधिकतम सात लाख का जुर्माना तय है। लेकिन, मिलावट कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों पर शिकंजा कसते हुए एफएसएसए एक्ट 2006 के सेक्सन में संशोधन कर जुर्माना राशि बढ़ाने व कुछ सालों की सजा को दरकिनार कर आजीवन कारावास में बदलने की तैयारी कर ली है। हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा दो जुलाई तक आपत्तियां मांगी गई थी। सूत्रों का कहना है कि उनका निस्तारण हो चुका है और जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा एक्ट में नया संशोधन लागू कर राज्यों सरकारों को भिजवा दिया जाएगा।
पुराने एक्ट पीएफए के करीब 2400 प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन चल रहे हैं। जबकि 2011 के बाद एफएसएसए एक्ट के करीब 1300 मामले लंबित पड़ेे हैं। ऐसे में सरकार एक तरफ तो दोषियों को मिलने वाली सजा को बढ़ा रही है। दूसरी ओर पुराने केस वापस लेने की तैयारी में जुटी है। सूत्रों के अनुसार चुनावी साल होने के कारण सरकार किसी की नाराजगी झेलना नहीं चाह रही है। क्योंकि मिलावट खोरी के लंबित चल रहे मामलों में कई बड़े नाम भी शामिल हैं। ऐसे में इन्हें खुश करने के लिए सरकार 2011 के बाद एफएसएसए एक्ट के कोर्ट में विचाराधीन प्रकरणों को वापस लेने का मानस बना रही है।
कोर्ट ने लगाई थी डांट
मिलावट से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा डांट पिलाते हुए निर्देशित किया गया था कि मिलावट रोकने के लिए जुर्माना राशि व सजा को बढ़ाना होगा। कोर्ट के इस निर्देश पर ही सारी कवायद चल रही है। संशोधन कार्रवाई से मिलावट खोरों में भी हड़कंप मचने लगा है।
इनका कहना
केंद्र सरकार द्वारा मिलावट खोरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के लिए एक्ट में बदलाव कर जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। जुर्माना व सख्त सजा मिलेगी तो मिलावट करने वालों में भी कानून का भय बना रहेगा।
रतन गोदारा, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, सीकर