नाबार्ड के महाप्रबंधक डा. ए के सूद की ओर से जारी आदेश के अनुसार प्रदेश में किसानों की संख्या की तुलना में कृषि खातो की संख्या ली जाएगी। कुल भूमि में से कितनी कृषि भूमि पर प्रति हेक्टैयर पर फसली ऋण है। किसानों की ओर से लिए गए ऋण में कृषि से जुड़ी हुई अन्य गतिविधियां चल रही है। जिन किसानो ने कृषि ऋण ले रखा है उसमे से कितने बंटाईदार किसान लाभान्वित हो रहे हैं। अल्पावधि के फसली ऋण के खाते कितने हैं। फसल बीमा के प्राप्त दावे और निपटाए गए दावे की संख्या की जानकारी ली जाएगी। जिससे बैंकिंग क्षेत्र की हकीकत सामने आएगी। इसके आधार पर बैंकिंग क्षेत्र में बदलाव किए जाएंगे।
इसलिए उठाया कदम
कृषि अर्थव्यवस्था में अहम भागीदार किसान क्रेडिट कार्ड और बैंकिंग सुविधा से वंचित किसानों की संख्या में गिरावट को देखते हुए केन्द्र सरकार ने यह कदम उठाया है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2018 में देश में सार्वजनिक बैंकों में किसान क्रेडिट कार्ड की संख्या 6 करोड 92 लाख और राजस्थान में 61 लाख 18 हजार रही। मार्च 19 में देश में 29 लाख और राजस्थान में 3.92 लाख किसान कार्ड कम हो गए। सीकर जिले में एक साल में सार्वजनिक बैंकों से करीब सात हजार केसीसी कम हो हुए हैं।
यूं बढ़ेगी आय
रिजर्व बैंक और केन्द्र सरकार ने सभी किसानों को बैंकों से जोडऩे के लिए निर्देश रखे हैं इसके बावजूद बैंकों की ओर से किसानो की अनदेखी की जाती है। ऐसे में किसान साहूकारों की शरण में जाता है जहां उसे निर्धारित से कई गुना ब्याज देना पड़ता है। इस कारण किसान अपनी जरूरत के लिए कृषि आदान विक्रेता तो कभी व्यापारी के चंगुल में फंस जाते हैं। जिससे किसी भी चीज की खरीद फरोख्त के लिए मोलभाव करने की क्षमता मजबूरी में दब जाती है। बैंकों से जुड़ाव होने के बाद किसान को कम ब्याज देना होगा तो जिससे उसकी आय में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होगी।
नाबार्ड और आरबीआई के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार कदम उठाया है। किसानो की आय बढ़ाने के लिए 2022 तक का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सभी बैंकों की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर होने वाली बैठकों की समीक्षा की जाएगी।
-एमएल मीणा, डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट मैनेजर, नाबार्ड