9 लाख मीट्रिक टन हो सकता है उत्पादन
प्याज उत्पादक किसान और कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस बार प्याज का अनुमानित उत्पादन ९ लाख मीट्रिक टन आंका जा रहा है। लेकिन, इसके लिए मौसम का साथ होना भी जरूरी बताया जा रहा है। विभाग के मुताबिक मौसम ने साथ दिया तो ४५ दिन में ही प्याज की पौध तैयार हो जाएगी। जिसकी रोपाई नवम्बर माह में खेतों में हो जाएगी।
प्याज उत्पादक किसान और कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस बार प्याज का अनुमानित उत्पादन ९ लाख मीट्रिक टन आंका जा रहा है। लेकिन, इसके लिए मौसम का साथ होना भी जरूरी बताया जा रहा है। विभाग के मुताबिक मौसम ने साथ दिया तो ४५ दिन में ही प्याज की पौध तैयार हो जाएगी। जिसकी रोपाई नवम्बर माह में खेतों में हो जाएगी।
यह है कारण
शेखावाटी की आबोहवा के अनुसार अगस्त व सितम्बर माह में प्याज की पौध तैयार करते हैं। इस बार सिंचाई के लिए मिनी स्प्रिंकलर होने के कारण उद्यानिकी फसलों की सिंचाई बेहतर तरीके से होने लगी है।
इसके अलावा पिछले पूरे सीजन में प्याज के थोक भाव औसतन ९ रुपए प्रति किलो तक रहे हैं। इस कारण प्याज उत्पादक किसानों को लागत मूल्य के साथ-साथ कुछ मुनाफा भी मिला है। व्यापारियों की माने तो इस बार भाव ज्यादा रहने के कारण प्याज के बीज के भाव में करीब ३०० रुपए प्रति किलोग्राम की तेजी आई है।
शेखावाटी की आबोहवा के अनुसार अगस्त व सितम्बर माह में प्याज की पौध तैयार करते हैं। इस बार सिंचाई के लिए मिनी स्प्रिंकलर होने के कारण उद्यानिकी फसलों की सिंचाई बेहतर तरीके से होने लगी है।
इसके अलावा पिछले पूरे सीजन में प्याज के थोक भाव औसतन ९ रुपए प्रति किलो तक रहे हैं। इस कारण प्याज उत्पादक किसानों को लागत मूल्य के साथ-साथ कुछ मुनाफा भी मिला है। व्यापारियों की माने तो इस बार भाव ज्यादा रहने के कारण प्याज के बीज के भाव में करीब ३०० रुपए प्रति किलोग्राम की तेजी आई है।
देश विदेश में प्रसिद्ध है शेखावाटी का प्याज
आपको यह भी बतादें कि शेखावाटी का प्याज मीठा होने के कारण देश और विदेशों में भी प्रसिद्ध है। काफी संख्या में प्रवासी लोग सीजन में सीकर, चूरू और झुंझुनूं आकर यहां का प्याज एक साथ खरीद कर ले जाते हैं। बावजूद इसके कि यहां के प्याज में पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह खराब भी जल्दी होता हे।
आपको यह भी बतादें कि शेखावाटी का प्याज मीठा होने के कारण देश और विदेशों में भी प्रसिद्ध है। काफी संख्या में प्रवासी लोग सीजन में सीकर, चूरू और झुंझुनूं आकर यहां का प्याज एक साथ खरीद कर ले जाते हैं। बावजूद इसके कि यहां के प्याज में पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह खराब भी जल्दी होता हे।