यह है कारण खेती में अत्यधिक मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग भूमि के उपजाऊपन को तेजी से कम कर रहा है। इससे मिट्टी में प्राकृतिक रूप में विद्यमान रहने वाले पोषक तत्व नष्ट हो रहे है। वहीं लवणों की मात्रा बढ़ रही है। यही कारण है कि अब बुआई से पहले खाद डालना जरूरी हो गया है। मिट्टी की जांच कराना भी जरूरी होता है। करीब दो दशक पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। उस समय साधारण रूप से बोआई करने पर भी पैदावार बेहतर हो जाती थी। कृषि अधिकारियों के अनुसार मिट्टी में रहने वाले केंचुए जैविक खेती का सर्वोत्तम माध्यम है लेकिन रासायनिक खाद से ये नष्ट हो रहे है।
किसान नहीं दिखा रहे रुचिवर्तमान में जैविक खादों से किसान लगभग विमुख से हो चुके है। इससे रॉक फ ॉस्फेट, जिप्सम, जिंक सहित सूक्ष्म तत्वों की कमी हो रही है। अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक खादों का प्रचलन बढ़ रहा है। अधिकारियों ने बताया कि रासायनिक खादों के उपयोग से कुछ समय तो खेती ठीक दिखाई देती है लेकिन उसके बाद में बंजरता आ जाती है। मिट्टी में गुणवत्ता कम होने लगती है।
स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानरासायनिक खादों के उपयोग से खेती में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ रही है। इससे पैदावार तो प्रभावित हो रही है। वहीं स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचता है। अनाज तथा अन्य खाद्य पदार्थो के सेवन से स्वास्थ्य को भी धीरे-धीरे नुकसान होता है। जैविक खाद के उपयोग से कई फ ायदे है। इससे कृषि उत्पादन को लंबे समय तक बेहतर बनाए रखा जा सकता है। पोषक तत्वों की गुणवत्ता, प्राकृतिक संसाधनों को बचाने, स्वास्थ्य तथा उत्पादन लागत कम करने के लिए वर्तमान में जैविक खादों का उपयोग बहुत जरूरी है।
लगेंगे कलस्टर जिले में रबी सीजन के दौरान 150 कलस्टर लगाए जाएंगे। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। लगातार तीन साल तक जैविक खेती करने पर संबंधित किसान का पंजीयन कर दिया जाएगा।
एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि