ऐसे बनेगा जैविक जोन
रसायनिक खाद से बंजर हो रही भूमि को बचाने के लिए जिले में कलस्टर बनाकर जैविक जोन बनाया जाएगा। तीन वर्ष तक लगातार जैविक खेती करने वाले किसानों को विभाग प्रमाणित करेगा। जैविक खेती को अपनाने वाले किसान से विभाग का अनुबंध होगा और किसान को इकाई लागत का पचास फीसदी अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान की राशि तीन किस्तों में देय है। प्रथम वर्ष चार हजार रुपए व दूसरे व तीसरे वर्ष में तीन-तीन हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा।
943 हेक्टेयर, 537 किसान
कृषि विभाग के अनुसार इस समय जिले में करीब 94 हेक्टेयर मेें 537 किसान जैविक खेती कर रहे हैं। इसके लिए किसान वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, जीवाणु खाद आदि का फसलों में प्रयोग कर रहे है और इसके बाद इन लोगों को राजस्थान जैविक प्रमाणीकरण संस्था की ओर से प्रमाण पत्र दिया गया है।
अंदाजे से डालते हैं रसायन
जिले में उर्वरक व कीटनाशकों की इस समय करीब 480 से ज्यादा दुकानें हैं। इन दुकानों में काम करने वाले लोग प्रशिक्षित नहीं होते हैं। कृषि अधिकारियों के अनुसार दुकानदार किसान की मानसिकता को भांपते हुए घातक लेकिन फसल के लिए गैर जरूरी रसायन भी थमा देते हैं। कई किसान तो बिना मिट्टी-पानी की जांच करवाए अंदाज से ही रसायन डालते हैं।
इनका कहना है
रसायन व उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण भूमि के साथ ही सेहत पर दुष्प्रभाव नजर आ रहा है। निदेशालय ने परम्परागत खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में किसानों के समूह बनाकर कलस्टर खेती करने का लक्ष्य दिया है।
– एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि