scriptपधारो म्हारे देश…! धारा 370 हटने के बाद यदि नहीं पहुंच पा रहे कश्मीर तो नहीं हो परेशान…गुलजार हो रही शेखावाटी की वादियां स्वागत को हैं तैयार | padharo maharo desh... | Patrika News

पधारो म्हारे देश…! धारा 370 हटने के बाद यदि नहीं पहुंच पा रहे कश्मीर तो नहीं हो परेशान…गुलजार हो रही शेखावाटी की वादियां स्वागत को हैं तैयार

locationसीकरPublished: Aug 12, 2019 09:01:49 pm

Submitted by:

Gaurav kanthal

बारिश के बाद पर्यटकों के लिए स्वर्ग है नीमकाथाना वन क्षेत्र। यहां पहाड़, घना वन क्षेत्र, नदी और वन्य जीवों का कुनबा पर्यटकों को कर रहा आकर्षित।

sikar

प्धारो म्हारे देश….! धारा 370 हटने के बाद यदि नहीं पहुंच पा रहे कश्मीर तो नहीं हो परेशान…गुलजार हो रही शेखावाटी की वादियां स्वागत को हैं तैयार

नीमकाथाना. देश में पर्यटकों के लिए एक से बढक़र एक स्थल हंै। वहीं वन्य जीवों की बसावट व आबादी के लिए एक से बढक़र एक प्राकृतिक व मुफीद वन क्षेत्र हैं। तीर्थ स्थलों के विकास व वन्य जीवों कुनबा बढ़ाने से नीमकाथाना वन क्षेत्र इन दिनों पर्यटकों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं। इस वन क्षेत्र में पांच तीर्थ धाम हैं। हालांकि पर्यटन स्थल के रूप में इस स्पॉट को विकसित करने के लिए सरकरा को काफी कुछ सोचना होगा।
इस वनक्षेत्र का नजारा बरसात में कुछ अलग ही होता है। यहां शुष्क, पतझड़ी वन, पहाडिय़ां, नदी, घाटियों के बीच पलाश, बरगद, पीपल, गुगल, सालर, अमलताश, खेजड़ी, बबूल, खैरी, जामुन, बांस, धोंक, आंवले, नीम, खजूर और आम के वृक्ष मौजूद हैं।
दुर्लभ प्राणी भी हैं यहां
इस वनक्षेत्र में बघेरे, नीलगाय, जरख, जंगली लोमड़ी, सेही, बंदर लाल मुंह, बंदर काले मुंह, मरु बिल्ली, लोमड़ी, मरु लोमड़ी, भेडिय़ा, बिज्जू, सियार/गीदड़ व नेवला जैसे दुर्लभ प्राणी भी देखने को मिलेंगे। धार्मिक स्थल भी
नीमकाथाना वन क्षेत्र में 2800 वर्ष ईसा पूर्व (लगभग4800 वर्ष पूर्व) ताम्रयुगीन सांस्कृतिक केन्द्रों में सबसे पुराना तीर्थ स्थल है। इसके अलावा १३वीं शताब्दी का बालेश्वर धाम, 13 वीं शताब्दी का ही टपकेश्वर धाम सहित बागेश्वर व थानेश्वर धाम स्थित हैं। गणेश्वर सभ्यता प्राचीन वैभव को दर्शाती है।
…और कासावती का अपना ही सौन्दर्य
वनक्षेत्र में कासावती (कृष्णावती) नदी की खूबसूरती पर्यटकों के लिए खास है। बुजूर्गों के अनुसार दो दशक पूर्व यह वर्षभर बहने वाली नदी थी, लेकिन अब यह नदी केवल वर्षाकाल में ही बहती है। इसके अलावा टोडा-दीपावास नदी भी अपना महत्व रखती है। जो जयपुर जिले की बाणगंगा नदी में जाकर मिल जाती है।
नीमकाथाना वन क्षेत्र पैंथर के लिए नया नहीं है। बुजुर्गों ने बताया कि कि यहां 1990 के दशक तक शेर, बाघ व पैंथर की दहाड़ गूंजती थी। 2011 में एक पैंथर जोड़े ने अपने आप को यहां स्थापित किया था। पिछले दिनों भी क्षेत्र में पैंथर देखे गए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो