दर्द भरी दास्तां : यहां मां और बच्चों के साथ कुदरत ने किया क्रूर मजाक, हे भगवान… ऐसा ना हो किसी के साथ
उठ रहे सवाल
गांव में ग्रामसेवक, पटवारी के अलावा अनेक सरकारी कर्मचारी मौजूद रहते हैं। हर साल विशेष अभियान चलाए जाते हैं इसके बावजूद परिवार को सहायता नहीं मिलना, आधार कार्ड नहीं बनना, भामाशाह कार्ड नहीं बनना और तो और विकलांगता प्रमाण पत्र नहीं बनना सरकारी सिस्टम की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है जो कर्मचारी यह कार्ड बनवाने व सहायता दिलाने के लिए जिम्मेदार थे, उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।
पत्रिका ने समझा था परिवार का दर्द
सोमवार को ‘मां और बच्चों के बीच स्पर्श का अटूट रिश्ता’ शीर्षक से राजस्थान पत्रिका में समाचार प्रकाशित किया गया था। खबर प्रकाशित होने के बाद तहसीलदार कपिल उपाध्याय व रूपाराम नाई पीडि़त परिवार के घर पहुंचे। इनके अलावा समाजसेवी महबूब देवड़ा ने इलाज करवाने में सहयोग करने व आर्थिक सहायता की पेशकश की। हाकम अली खान पीडि़त परिवार के घर पहुंचे व पंचायत के स्तर पर सभी कागजात पूर्ण करवाने का आश्वासन दिया। झाबर सिंह बिजारणियां, पैरा ओलंपिक खिलाड़ी महेश नेहरा, बजरंग चनेजा सहित कई लोगों ने भी मदद की पेशकश की।