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देश सेवा की ऐसी धुन कि शहीद दीपचंद ने कभी नहीं किया दूसरी भर्ती का आवेदन

locationसीकरPublished: Jul 02, 2020 01:25:25 pm

Submitted by:

Sachin

(passion to die for country is such that martyr deepchand verma never applied for another job ) सोपोर में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान दीपंचद वर्मा में बचपन से देश भक्ति का भाव निचोड़कर भरा हुआ था। बचपन से ही शहीद दीपचंद में सेना में भर्ती होकर देश सेवा की धुन सवार थी।

देश सेवा की ऐसी धुन कि शहीद दीपचंद ने कभी नहीं किया दूसरी भर्ती का आवेदन

देश सेवा की ऐसी धुन कि शहीद दीपचंद ने कभी नहीं किया दूसरी भर्ती का आवेदन

सीकर/बावड़ी. सोपोर में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान दीपंचद वर्मा में बचपन से देश भक्ति का भाव निचोड़कर भरा हुआ था। बचपन से ही शहीद दीपचंद में सेना में भर्ती होकर देश सेवा की धुन सवार थी। सेना के अलावा ना तो उनका कोई लक्ष्य था, ना ही कोई ख्वाब। शहीद के भाई सुनिल ने बताया कि शहीद सिर्फ सेना में भर्ती होने की चाह रखते थे। इसके चलते कभी रोजगार के दूसरे साधन या भर्तियों की ओर उनका ध्यान तक नहीं दिया। यदि इस बारे में कहा भी जाता तो वे कहते कि मैं सिर्फ सेना में जाकर देश सेवा करना चाहता हूं। उनका लक्ष्य ओर मेहनत आखिरकार रंग लाई व 2003 में सीआरपीएफ की भर्ती में उनका चयन कांस्टेबल पद पर अजमेर में हो गया। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के बारामुला में बुधवार सुबह आतंकी हमला हो गया था। जिसमें बावड़ी के सपूत दीपचंद तीन साल के मासूम बच्चे को बचाते हुए शहीद हो गए थे। जिनका अंतिम संस्कार बावड़ी गांव में ही किया जाएगा।

 

मैराथन में गोल्ड मेडलिस्ट


शहीद दीपचंद ने दसवीं तक की शिक्षा बावड़ी गांव में ग्रहण की। इसके बाद सीनियर सैकंडरी तक की पढ़ाई उन्होंने रींगस में की। इसी बीच उनकी सेना भर्ती की तैयारी भी जोरों पर थी। जिसके चलते प्रथम वर्ष की पढ़ाई के दौरान ही उनका चयन सीआरपीएफ में हो गया। परिजनों के मुताबिक शहीद दीपचंद दौड़ व हॉकी के अव्वल दर्जे के खिलाड़ी थे। गांव से लेकर सेना तक की कई प्रतियोगिताओं में वह कई अवार्ड जीत चुके थे। सेना की मैराथन में भी उन्हें गोल्ड मेडल हासिल किया था।

 

शाम तक आयेगी पार्थिव देह

शहीद के अंतिम संस्कार को लेकर गांव में अब भी संशय बरकरार है। दरसअल शहीद की पार्थिव देह जम्मू कश्मीर से सवा दस बजे रवाना हुई है। जो करीब एक बजे दिल्ली पहुंचेगी। यहां से पार्थिव देह को सड़क के रास्ते बावड़ी गांव लाया जायेगा। ऐसे में परिजनों का कहना है कि यदि पांच बजे बाद उन्हें पार्थिव देह सौंपी जाएगी, तो शहीद का अंतिम संस्कार फिर शुक्रवार को ही किया जायेगा।

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