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4 साल बाद ट्रैक पर उतरी सीकर-जयपुर ट्रेन जनता को नहीं आ रही रास ! जानिए क्या है वजह

locationसीकरPublished: Oct 23, 2019 05:20:24 pm

Submitted by:

Naveen

Sikar News in Hindi : भारी प्रयासों और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद नए आमान परिवर्तन पर मिली सीकर से जयपुर तक ( Sikar Jaipur Train ) की ट्रेन के संचालन का समय सीकर की जनता को रास नहीं आ रहा है।

4 साल बाद ट्रैक पर उतरी सीकर-जयपुर ट्रेन जनता को नहीं आ रही रास ! जानिए क्या है वजह

4 साल बाद ट्रैक पर उतरी सीकर-जयपुर ट्रेन जनता को नहीं आ रही रास ! जानिए क्या है वजह

सीकर.

Sikar News in Hindi : भारी प्रयासों और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद नए आमान परिवर्तन पर मिली सीकर से जयपुर तक ( Sikar Jaipur Train ) की ट्रेन के संचालन का समय सीकर की जनता को रास नहीं आ रहा है। शेखावाटी अंचल में गेज परिवर्तन पर 15 सौ करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी सीकर में रेल का सपना थोथा ही साबित हो रहा है। लम्बे इंतजार के बाद जयपुर से सीकर तक के लिए शुरू की गई डेमू ट्रेन जनता के लिए राहत लेकर नहीं आई है। सुबह और शाम को जयपुर के लिए आवागमन करने वालों का भरोसा तोडऩे वाली है। इसकी बड़ी वजह इस ट्रेन का समय है। इससे पहले दिल्ली के लिए दोपहर में शुरू की गई रेल सेवा भी जनता के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुई। जयपुर ट्रेक पर शुरू की गई डेमू ट्रेन सुबह साढ़े दस बजे जयपुर से और दोपहर में दो बजे सीकर से जयपुर के लिए यह रवाना होगी। जबकि इस समय में जयपुर मार्ग पर सबसे कम यात्री भार होता है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि रेलवे ने जनता की परेशानी को हल करने की बजाय ट्रेक शुरू करने के लिए अजमेर से जयपुर तक चलने वाली डेमू ट्रेन को रीगस में हरी झंडी दिखवा दी। स्थिति यहां तक है की सीकर और रींगस में 16 से 17 घंटे तक खड़ी रहने वाली ट्रेनों का भी फेरा जयपुर तक बढ़ाने के आदेश जारी नहीं हुए है। जबकि इस संबंध में डीआरएम ने पूर्व में ही टाइम टेबिल के साथ प्रस्ताव मुख्यालय को भेज दिए थे।


कोटा ट्रेन रहती फायदेमंद, डेमू किस काम की
सीकर और जयपुर के बीच के यात्रीभार और जनता की मांग को देखे तो दो हजार से अधिक यात्री सुबह और शाम जयपुर और सीकर के बीच आवागमन करते हैं। कोटा-सीकर ट्रेन शुरू होती तो प्रतिदिन यात्र करने वाले इन यात्रियों को फायदा होता। डेमू ट्रेन दोपहर के समय सीकर से चलेगी। जिसका प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों को कोई फायदा नहीं मिलेगा। पहले दिन मंगलवार को 650 यात्रियों ने यात्रा की, जिसमें रेलवे को 13 हजार पांच सौ रुपए की आय हुई।

4 साल बाद ट्रैक पर उतरी सीकर-जयपुर ट्रेन जनता को नहीं आ रही रास ! जानिए क्या है वजह

17 घंटे सीकर में और 15 घंटे रींगस में खड़ी रहती है ट्रेन
रेलवे ने सीकर और रींगस तक चलने वाली ट्रेनों को जयपुर तक चलाने के लिए कई बार प्रस्ताव बनाए, लेकिन ट्रेक शुरू होने के बाद भी इसकी स्वीकृति नहीं मिल पाई है। गंगानगर से सीकर के बीच तीन दिन चलने वाली ट्रेन 17 से 18 घंटे तक सीकर में खड़ी रहती है। यह ट्रेन सुबह पांच बजे सीकर पहुंचती है। इसके बाद रात सवा ग्यारह बजे गंगानगर के लिए रवाना होती है।

इस टेन को जयपुर तक चलाया जाए तो यह दो चक्कर आराम से कर सकती है। जबकि मीटरगेज के दौरान भी जयपुर से गंगानगर के लिए ट्रेन चलती थी। इसके अलावा दिल्ली से रींगस तक चलने वाली टे्रन 15 घंटे तक रींगस में खड़ी रहती है। इसके अलावा चूरू से आने वाला शटल रात भर रींगस में खड़ा रहता है। झुंझुनूं से आने वाले शटल को भी जयपुर तक भेजा जा सकता है, लेकिन रेलवे अभी तक इस पर निर्णय नहीं ले पा रहा है। यहां तक की रींगस में हुए समारोह में भी इन ट्रेनों का फेरा बढ़ाने के लिए कोई घोषणा नहीं की गई। जबकि इन ट्रेनों का फेरा बढ़ाने के लिए रेलवे को किसी तरह की अतिरिक्त व्यवस्था करने की आवश्यकता नहीं है।

4 साल बाद ट्रैक पर उतरी सीकर-जयपुर ट्रेन जनता को नहीं आ रही रास ! जानिए क्या है वजह

क्यों और किसने रोकी कोटा की ट्रेन
जयपुर-सीकर ट्रेक पर ट्रेन के उद्घाटन को लेकर नई जानकारी सामने आई है। पहले इस ट्रेक पर कोटा से जयपुर तक चलने वाली ट्रेन को सीकर तक चलाने का प्रस्ताव तय था। इसके लिए रेलवे अधिकारियों ने समय सारणी भी तय कर अधिकारियों को भेज दी थी। रेलवे के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सुबह पांच बजे कोटा से जयपुर पहुंचने वाली ट्रेन को सीधा सीकर भेजा जाना था।

समय सारणी के अनुसार यह ट्रेन सुबह 7: 10 बजे सीकर पहुंचती और रात आठ बजे जयपुर के लिए रवाना हो जाती। इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई थी। लेकिन अचानक निर्णय बदलकर अजमेर से जयपुर आने वाली डेमू ट्रेन को उद्घाटन ट्रेन के रूप में सीकर तक चलाने का निर्णय किया गया। यह निर्णय क्यों बदला गया। इसका किसी के पास जवाब नहीं है। अधिकारी डेमू ट्रेन के रेक नए होने का तर्क दे रहे हैं, जबकि कोटा-जयपुर ट्रेन सीकर आती तो यहां के लोगों को लम्बी दूरी की टे्रन मिलने के साथ शिक्षा क्षेत्र में पहचान बना रहे विद्यार्थियों को भी फायदा होता।

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