नहीं मिल पाता पुनर्भरण बीमा कम्पनी अलग-अलग फ सलों पर बीमे का क्लेम पास करती हैं जिसमें संंबंधित क्षेत्र में फसल 90 फ ीसदी खराब होने पर उस वर्ष की तय फसल राशि के अनुसार प्रति हैक्टेयर की दर से पूरा क्लेम दिया जाता है। खराबे का आकलन ब्लॉक स्तर पर होने से ज्यादातर खराबे का प्रतिशत 50 से 60 फ ीसदी पर ही सिमट कर रह जाता है जिससे बीमा धारक किसान की पूरी फसल खराब होने पर भी उसे मामूली क्लेम राशि ही मिलती है।
ऐसे देती है कम्पनी क्लेम
उदाहरण के तौर पर एक ब्लॉक में दस हजार हैक्टेयर भूमि पर खेती हुई, पाले या खंड बारिश से पांच हजार हैक्टेयर की शत प्रतिशत फसल खराब हो गई और पांच हजार हैक्टेयर पर कोई खराबा नहीं हुआ। अब कम्पनी औसत खराबा 50 फ ीसदी मानती है और खराबे वाले किसानों को महज 50 प्रतिशत खराबे का क्लेम ही दिया जाता है।
उदाहरण के तौर पर एक ब्लॉक में दस हजार हैक्टेयर भूमि पर खेती हुई, पाले या खंड बारिश से पांच हजार हैक्टेयर की शत प्रतिशत फसल खराब हो गई और पांच हजार हैक्टेयर पर कोई खराबा नहीं हुआ। अब कम्पनी औसत खराबा 50 फ ीसदी मानती है और खराबे वाले किसानों को महज 50 प्रतिशत खराबे का क्लेम ही दिया जाता है।
डेढ लाख किसान करवाते हैं फ सलों का बीमा जिले में रबी और खरीफ की दोनों प्रमुख फ सलों में औसत डेढ लाख तक बीमा होते हैं। फसलों में खराबा होने पर पहले पूरे क्षेत्र की गिरदावरी होती है, उसके बाद प्रशासन रिपोर्ट तैयार करवाता है। कई महीनों बाद बीमा कम्पनी किसान को क्लेम की राशि देती है। भुगतान में देरी के कारण फसल खराबे की मार से आहत किसानों के पास अगली फसल बोने के लिए लागत राशि तक नहीं होती है जिससे कई बार उनके खेत खाली ही पड़े रह जाते हैं।
सरकार तय करती है नियम
बीमा कम्पनी ब्लॉक स्तर पर ही खराबे का क्लेम औसत निकाल कर तय करती है। बीमा की शर्तें आदि सरकार स्तर पर तय होता है। जिले में अभी तक बीमा कम्पनी ने नियमानुसार भुगतान किए हैं।
बीमा कम्पनी ब्लॉक स्तर पर ही खराबे का क्लेम औसत निकाल कर तय करती है। बीमा की शर्तें आदि सरकार स्तर पर तय होता है। जिले में अभी तक बीमा कम्पनी ने नियमानुसार भुगतान किए हैं।
एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि