scriptपानी के लिए गांवों में रात तीन बजे से कतार | Queues in villages for water from three o'clock in the night | Patrika News

पानी के लिए गांवों में रात तीन बजे से कतार

locationसीकरPublished: Apr 20, 2021 07:00:40 pm

Submitted by:

Suresh

जलदाय विभाग तय समय पर नहीं कर पा रहा समस्याओं का समाधान14 में से छह हैंडपंप खराबगढ़ी खानपुर में कनेक्शन के इंतजार में दस साल से बंद है टयूबवैल

पानी के लिए गांवों में रात तीन बजे से कतार

पानी के लिए गांवों में रात तीन बजे से कतार

कांवट/सीकर. ग्राम पंचायत जुगलपुरा के राजस्व गांव गढ़ी खानपुर में सांसद कोटे से लगा ट्यूबवैल दस साल से विद्युत कनेक्शन के इंतजार में बंद है। जलस्तर के गिरने से हैंडपंपों ने भी जवाब दे दिया है। लोगों को मवेशियों व पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। लोगों ने बताया कि गांव में पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए करीब दस साल पहले सांसद कोटे से गांव के आम चौक में बने कुएं में थ्री-फेस ट्यूबवैल लगाया था। ट्यबवैल लगने के बाद गांव में वर्षों पुरानी पानी की टंकी तक पाइप लाइन भी डाली गई थी। ट्यूबवैल के लगने से लोगों को पीने के पानी की समस्या से निजात मिलने की आस जगी थी।

आज तक ट्यूबवेल का विद्युत कनेक्शन भी नहीं हुआ। इस ट्यूबवैल के पास ही ग्रामीणों ने जनसहयोग से यहां टंकी भी बनवा ली। लेकिन ट्यूबवैल का कनेक्शन नही होने से दोनों टंकिया खाली रहती है। ग्रामीणों ने बताया कि सालभर गांव में पीने के पानी के लिए जुझना पड़ता है। गर्मी के शुरू होते ही महिलाओं को पीने के पानी के लिए परेशान होता पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 14 हैंडपंप लगे हैं, जिनमें से छह खराब है। खराब हैंडपम्प के अलावा भी बाकी हैंडपम्पों में जलस्तर गिरने से पानी कम हो गया है। गांव में पीने के पानी के लिए एकमात्र स्रोत केवल हैंडपम्प ही है। ग्रामीणों ने हैण्डपम्प को ठीक कराने के लिए जनप्रतिनिधियों को भी कई बार अवगत कराया। लेकिन पेयजल समस्या को लेकर ग्रामीणों की कोई सुनवाई नही हो रही है।
कैसेे हों हलक तर…
मूंडरू. श्रीमाधोपुर तहसील का एक गांव ऐसा भी है जहां लोगों को रात्रि में पानी के जगना पड़ता है। हम बात कर रहे है गांव फूटाला की। यहां 200 घरों की आबादी पर पेयजल के नाम पर महज दो ट्यूबवैल है। इन ट्यूबवैलों में पहले ही पानी कम है। ऊपर से गर्मी शुरू होते ही यह ट्यूबवेल दम तोड़ देते है। इन दिनों ये ट्यूबवेल टंकी में मुश्किल से दो तीन फरमे पानी भरते होंगे। दिन में थ्री फेज सप्लाई के दौरान जितना भी पानी टंकी में जाता है। इस पानी के लिए लोग रात को ही लाइनों में लग जाते है। जो पहले पहुंचा उसे पानी मिल जाता है। बाद में तो लोगों को खाली बर्तन के साथ लौटना पड़ता है। गांव के लोगों का कहना है कि सरकार से केवल दो ट्यूबवेल लगे है। भूमिगत जल स्तर नीचे चले जाने से दोनों टयूबवेल नकारा से साबित हो चुके है। टंकी में पानी की आपूर्ति नहीं होने से लोग सीधा टयूबवैल पर ही लाइन लग लेते है। यहां के लोग पशुधन भी रखते है। इससे उन्हें ज्यादा पानी की जरूरत होती है। पेयजल नहीं मिलने से लोगों को महंगी दरों पर टैंकर डलवाने पड़ते है।
200 घरों पर एक टंकी
गांव की पहले आबादी कम थी और भूमिगत जल स्तर भी पर्याप्त था। ऐसे में गांव में बनी बड़ी टंकी से लोग पानी भरकर ले जाते थे। इससे लोगों का काम चल जाता था। अब गांव की आबादी करीब एक हजार के पार पहुंच चुकी है। अब भी लोगों को इसी टंकी से पानी भरना पड़ता है। सैकड़ो वर्ष बीत जाने के बाद भी लोगों के घरों तक पाइपलाइन नहीं पहुंच सकी। ग्रामीण अनेकों बार अधिकारियों व कर्मचारियों से गुहार लगा चुके है, पर समस्या जस की तस बनी हुई है।

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