हर्ष पर है दुनिया की सबसे दुर्लभ अद्र्धनारीश्वर गणेश की मूर्ति
सीकरPublished: Sep 02, 2019 02:06:02 am
पत्रिका एक्सक्लूसिवगणेश चतुर्थी के मौके पर पत्रिका पहली बार देखिए १०४६ साल पुरानी प्रतिमा की तस्वीर
हर्ष पर है दुनिया की सबसे दुर्लभ अद्र्धनारीश्वर गणेश की मूर्ति
सचिन माथुर. सीकर. भगवान शिव के अद्र्धनारीश्वर रूप के बारे में आपने खूब सुना- देखा होगा, लेकिन क्या कभी भगवान गणेश को इस रूप में देखा है? शायद नहीं! लेकिन, बतादें कि पुराणों के अनुसार भगवान गणेश ने अंधकासुर वध के समय नारी का रूप धारण किया था। जिसे उनका गणेशी या विनायकी रूप कहा गया। इस रूप की तस्वीर और मूर्ति बेहद दुर्लभ है। पर यही मूर्ति सीकर के हर्ष पर्वत पर मौजूद है। जिसे विश्व की सबसे पुरानी अद्र्धनारीश्वर गणेश मूर्ति माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर उसी मूर्ति की तस्वीर पत्रिका पहली बार प्रकाशित कर रहा है। जिसे आपने हर्ष पर देखा भी होगा, तो भी कभी इसका धार्मिक महत्व और इतिहास नहीं समझा होगा।
१०४६ साल पुरानी है मूर्ति
गणेशी अवतार की यह मूर्ति हर्ष मंदिर के निर्माण के समय की है। जो १०४६ साल पुरानी है। इस रूप की मूर्ति बेहद दुर्लभ है। प्रदेश में हर्ष व बिजौलिया के मंदाकिनी मंदिर के अलावा अद्र्धनारीश्वर गणेश की मूर्ति देशभर में ही दुर्लभ है। मंदाकिनी मंदिर की मूर्ति भी करीब एक हजार साल पुरानी है।
गणेशी ने पिया था रक्त
पौराणिक कथा के अनुसार अंधकासुर राक्षस से जब सारे देवता परेशान थे तो सब मिलकर भगवान शिव के पास पहुंचे। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने अंधकासुर को तो मार दिया, लेकिन रक्त को पीने के लिए उन्होंने दो सौ देवियों को प्रकट किया। जिसमें से भगवान गणेश का नारी रूप भी एक था। इसी तरह मत्स्य पुराण और विष्णु धर्मोत्तर पुराण के मुताबिक जब राक्षस अंदोक (अंधक) माता पार्वती का अपहरण करने की कोशिश कर रहा था तब भगवान शिव का त्रिशूल माता पार्वती को लग गया। इस कारण जो रक्त जमीन पर गिरा वो स्त्री और पुरुष दो भागों में बंटकर आधी स्त्री और आधा पुरुष का रूप ले लिया। जिसे गणेशानी के नाम से जाना गया। कुछ अन्य ग्रंथों जैसे लिंगपुराण और दुर्गा उपनिषद में भी भगवान गणेश के स्त्री अवतार का जिक्र है।
मान्यता यह भी
जिस तरह विष्णु की शक्ति वैष्णवी, शिव की शिवा, ब्रह्मा की ब्रह्माणी शक्ति के रूप में जाना जाता है। ठीक वैसे ही गणेश की शक्ति को गणेश्वरी के रूप में माना और पूजा जाता है। नारी गणेश को गणेशी, गजानना, हस्तिनी, वैनायिकी, विघ्नेश्वरी, गणेश्वरी, गणपति हृदया, श्री अयंगिनी, महोदरा, गजवस्त्रा, लंबोदरा, महाकाया आदि नामों से भी जाना जाता है।