मदनलाल का दांता बाइपास पर वर्षों से कारखाना है। न तो वह ज्यादा पढ़े-लिखे हैं और न ही उपकरण बनाने के लिए कोई कोर्स किया। केवल मन में कुछ अलग करने के जज्बे के दम पर नवाचार करते रहे हैं। कुमावत ने बताया कि एक व्यक्ति पुराना ट्रैक्टर लेकर मेरे पास आया था।
उसने कहा कि इस ट्रैक्टर को बेचने से कोई फायदा नहीं मिलेगा, इसे मॉडिफाई कर दो। बस, किसानों की परेशानी को देखकर आइडिया आया और दिन-रात मेहनत करने में जुट गया। टैक्टर से आखिरकार जेसीबी बनाकर दम लिया।
बाजार में 30 लाख की जेसीबी, यहां 4.5 लाख में काम
मदनलाल ने बताया कि जेसीबी बाजार में लगभग 30 लाख की आती है। जबकि ट्रैक्टर को जेसीबी में बदलने पर केवल 4.5 लाख रुपए का खर्च आता है। किसान अपने ट्रैक्टर को जेसीबी में बदलकर सस्ते में काम ले सकते हैं। मदनलाल ने अपनी बनाई जेसीबी से मिट्टी खोदकर व उठाकर भी दिखाया।
राष्ट्रपति ने किया था सम्म्मानित
नवाचारों के लिए कुमावत कई बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं। इससे पहले उन्होंने मल्टीपरपज थ्रेशर बनाई थी, जिसमें सभी फसलों की कटाई आसानी से हो जाती है। इसे नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने राष्ट्रीय स्तर पर भेजा और राष्ट्रपति ने नवाचारी किसान को सम्मानित किया था। पद्मश्री सुंडाराम वर्मा ने बताया कि फाउंडेशन को यह नवाचार भी भेजा जाएगा।