इस प्रकार है इतिहास का जिक्र पुस्तक में लिखा है कि सीकर किसान आंदोलन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सोतिया का बास गांव में महिलाओं के साथ किए गए दुव्र्यहार के विरोध में 25 अप्रेल 1934 को कटराथल नामक स्थान पर किशोरी देवी की अध्यक्षता में विशाल महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। सीकर ठिकाने ने उस सम्मेलन को रोकने के लिए धारा 144 लगा दी। इसके बावजूद काननू तोड़कर महिलाओं का यह सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। जिनमें दुर्गादेवी शर्मा, फूलां देवी, रमादेवी, उत्तमादेवी आदि प्रमुख थी। 25 अप्रेल 1935 को जब राजस्व अधिकारियों का दल लगान वसूलने कूदन गांव पहुंचा तो एक वृद्ध महिला धापी दादी की ओर से उत्साहित किए गए किसानों ने सामूहिक रूप से लगान देने से इंकार कर दिया। पुलिस ने किसानों पर गोलियां चलाई। जिसमें चार किसान चेतराम, टीकूराम, तुलछाराम व आशाराम शहीद हो गए। 175 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस किसान आंदोलन की गूंज ब्रिटिश संसद में भी सुनाई दी। 1935 के अंत तक किसानों की अधिकांश मांगें स्वीकार कर ली गई। आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेताओं में सरदार हरलाल सिंह, नेतरामङ्क्षसह गौरीर, पन्नेसिंह बाटड़ानाऊ, हरूसिंह पलथाना, गौरूङ्क्षसह कटराथल, ईश्वरङ्क्षसह भैंरूपुरा व लेखराम आदि शामिल रहे।