scriptमिलीभगत के खेल से घाटे में जा रही राजस्थान रोडवेज, जनता परेशान | rajasthan roadways suffer loss due to no service in sikar | Patrika News

मिलीभगत के खेल से घाटे में जा रही राजस्थान रोडवेज, जनता परेशान

locationसीकरPublished: Jul 18, 2019 02:47:02 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

Rajasthan Roadways : सुरसा के मुंह की तरह घाटे की गर्त में जा रही रोडवेज को उबारने के लिए प्रबंधन के दावे बेमानी है।

Rajasthan Roadway : सुरसा के मुंह की तरह घाटे की गर्त में जा रही रोडवेज को उबारने के लिए प्रबंधन के दावे बेमानी है।

मिलीभगत के खेल से घाटे में जा रही राजस्थान रोडवेज, जनता परेशान

सीकर.

Rajasthan Roadway : सुरसा के मुंह की तरह घाटे की गर्त में जा रही रोडवेज को उबारने के लिए प्रबंधन के दावे बेमानी है। इसकी बानगी है कि सीकर जिले में चल रहे मिलीभगत के खेल के कारण जिले में अभी भी कई इलाके ऐसे हैं जो सरकारी परिवहन सेवा से महरूम है। जबकि इन जगहों के लिए हर 30 मिनट में निजी बस या टैक्सी सवारियों लेकर रवाना होती है। गौरतलब है कि सीकर डिपो में रोजाना दो हजार किलोमीटर तक कटेलमेंट हो रहा है। मुख्यालय ने डिपो को 56 हजार किलोमीटर रोजाना बस संचालन का लक्ष्य दिया है लेकिन डिपो में महज 51 हजार किलोमीटर तक बस चलाई जा रही है।


फ्लीट ओनर निगम की ओर से परिवहन विभाग ( Transport Department Rajasthan ) को परमिट शुल्क दिया जाता है। निगम के पास राजमार्ग के 711 परमिट है अन्य श्रेणी के 298 परमिट है। कई बसों के नहीं चलने पर भी निगम को संबंधित मार्ग पर बस चले या नही परमिट शुल्क देना ही पड़ता है। डिपो की अनदेखी का आलम है कि खाटूश्यामजी जैसे धार्मिक स्थल पर रोडवेज की नियमित सेवाएं नहीं हैं जबकि रोजाना यहां हजारों श्रदधालु आते हैं। ऐसे में निजी बसों की मनमानी रहती है।


Roadways in Shekhawati : शेखावाटी में करीब 350 बसों को परमिट दिए हुए हैं, इसकी आड़ में करीब 200 से ज्यादा अवैध बसें चल रही है। जारी परमिटों में से 40 को सेंडर किया जा चुका है। अंतर राज्यीय मार्गों के लिए भी लोक परिवहन को परमिट नहीं दिए गए हैं, इसके बावजूद दिल्ली व अन्य जगहों पर बसें जा रही हैं। इसमें अकेले सीकर से जयपुर की 48 लोक परिवहन की बसों को परमिट जारी किए गए है। इसके साथ आठ वो बसें हैं जो चूरू भी जाती है। जबकि जयपुर से चूरू मार्ग पर केवल पांच सीधी बसों को परमिट जारी है।


यूं समझे मिलीभगत
किसी भी राष्ट्रीयकृत या ग्रामीण मार्ग पर बस सुविधा रोडवेज की ओर दी जाती है। रोडवेज बस के सफल संचालन के बाद निजी बस ऑपरेटर सक्रिय हो जाते हैं और अधिकारियों से मिलीभगत करके रोडवेज का यात्री भार कम दर्शाकर बस को बंद कर दिया जाता है। सीकर डिपो में अहमदाबाद, डीडवाना, करड़, बाय मार्ग पर ऐसा हो चुका है। प्रबंधन का तर्क है कि रोडवेज निगम ने 22 अक्टूबर 2018 को परिवहन विभाग को सीकर से सालासर 40 बस और बीकानेर से जयपुर वाया सीकर 57 बसों की सूची दी थी जो तय से ज्यादा राउंड लगा रही है। विभाग ने जांच में 16 गाडिय़ों का अवैध संचालन माना है। फिर भी अवैध बसों का संचालन नहीं थम रहा है।

 

यह भी पढ़ें

फेसबुक पर पर्स गुम होने की सूचना डाली, पुलिस का फोन आया तो खुशी के साथ युवक को लगा झटका, जानिए क्यों


इन रूटों की बसें हुई बंद
सीकर डिपो की ओर से 145 शिड्यूल पर बसों का संचालन किया जाता है। स्टॉफ की कमी के नाम पर जिले में ग्रामीण मार्ग पर चलने वाले कई बसों बसों की संख्या कम कर दी गई। जबकि डिपो में पद के विपरीत 80 से ज्यादा कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं इस कारण एक दर्जन से ज्यादा बसें ऑफ रूट हो चुकी है। जिससे दर्जनों गांव व ढाणियों के लोग खासे परेशान हो रहे हैं। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने कई बस भी शामिल है।


पीड़ा की अनदेखी कर रहा निगम
रोडवेज बसों के बंद होने के कारण दर्जनो गांव व ढाणियों के लोग सीधे प्रभावित होते हैं। ऐसे में अधिकारियों से गुहार लगाए जाने के बावजूद निगम इसकी अनदेखी कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि जब किसी जनप्रतिनिधि का दवाब आता है तो कुछ दिन के लिए बसों का संचालन कर दिया जाता है। इसके बाद बस को गुपचुप में बंद कर दिया जाता है। हकीकत यह है कि जिले में कई मार्गों पर बसें निगम की निर्धारित आय भी नहीं ला रही है इसके बावजूद बसों को दवाब में चलाया जा रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो