पिता ने कहां गर्व है मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ हमले में शहीद की बॉडी जब सोमवर को पैतृक गांव पहुंची। इसके बाद बेसुध शहीद की बहन ज्योंही घर में पहुंची तो वहां का माहौल देख बिलख पड़ी। गांव में चूल्हे तक नहीं जले। एसडीएम संजू पारीक शहीद के पिता सहीराम को संदेश सुनाते समय समय भाउक हो गई। लेकिन उन्होंने पिता को ढांढस बंधाया। इसके कुछ ही देर बाद पत्नी दो साल की बेटी मिष्ठा के साथ ससुराल पहुंची। माहौल को देख वह चीख-चीख कर बिलखने लगी। महिलाओं ने उसे संभालकर घर के अंदर पहुंचाया। पत्नी रो-रो कर बेहोश हो गई। पार्थिक देह आने के इंतजार में लोग रात भर शहीद के घर बैठे हुऐ थे।
दो साल पहले ही भर्ती हुआ था शहीद राजेन्द्र दो वर्ष पहले ही सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। सीआरपीएफ की 130बी बटालियन श्रीनगर में तैनात था। कुछ समय के लिए उसकी ड्यूटी गुडग़ांव भी लगी थी। राजेन्द्र की शादी चार वर्ष पहले चुआस (फतेहपुर) की प्रियंका के साथ हुई थी। उसके दो साल की बेटी है मिष्ठा। राजेन्द्र के पिता सहीराम खेती करते हैं। माता सावित्री देवी गृहणी है। राजेन्द्र केे बड़े दो भाई भागीरथ व जैनाराम हैं जिनमें से भागीरथ दुबई में श्रमिक का कार्य करता है। दूसरा भाई पिता के साथ कृषि में हाथ बंटाता है। बड़ी बहन इमरता व छोटी बहन शारदा है।