इस दिन राजू ठेहट को 2005 के विजयपाल मर्डर केस में सीकर न्यायालय में पेश किया था। तब न केवल राजू ठेहट को बुलट प्रुफ जैकेट पहनाकर लाया गया बल्कि उसके साथ आए पुलिसकर्मी भी बुलट पु्रफ जैकेट व हथियारबंद थे। हालांकि विजयपाल हत्याकांड में न्यायालय ने राजू ठेहट व उसके गुर्गे मोहन मांडोता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
मर्डर करके ला रहा था कावंड़
-22 मई 2005 में राजू ठेहट व मोहन मांडोता आदि ने रानोली इलाके में विजयपाल व भंवरलाल के साथ मारपीट की।
-मारपीट के बाद विजयपाल की मौत हो गई थी। भंवर लाल गंभीर रूप से घायल हो गया था।
-दोनों आरोपितों को एटीएस ने झारखंड के देवधर से 16 अगस्त को 2013 को पकड़ा था।
-उस समय दोनों पीले कपड़े पहनकर कावड़ ला रहे थे। एटीएस ने पकडकऱ रानोली थाना पुलिस को दोनों को सौंप दिया।
-दोनों ने घटना के बाद आसाम, बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र सहित देश के अलग-अलग स्थानों पर आठ साल तक फरारी काटी।
-आरोपितों के खिलाफ संबंधित कोर्ट में चालान पेश किया गया। वहां से अगस्त 13 में अपर सेशन न्यायाधीश संख्या चार में मामला आया।
भंवरलाल की गवाही ने दिलाई सजा
घटना जून 2005 की थी। आरोपित आठ साल बाद गिरफ्तार हुए। इस दौरान अनेक सबूत व साक्ष्य नष्ट हो गए। पूरे मामले में विजयपाल के साथी भंवरलाल की गवाही ही फैसले का मुख्य आधार बनी। वह कभी अपनी बात से नहीं मुकरा। हमले में खुद भंवरलाल भी घायल हो गया था। वह गवाही नहीं दे सके, इसलिए उसे धमकाया गया था। हमले का प्रयास भी किया गया था, लेकिन चश्मदीद गवाह भंवरलाल अडिग रहा। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल तेरह गवाहों के मौखिक बयान कराए गए। दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में 34 दस्तावेजी साक्ष्य प्रदर्शित किए गए।
शराब का धंधा हमले का कारण
पहले आरोपित व पीडि़त एक ही गिरोह थे। शराब के धंधे में दोनों गुटों में दुश्मनी हो गई। दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन हो गए। विजयपाल पर हमला भी शराब के धंधे व पुरानी रंजिश के कारण हुआ । विजयपाल व बलवीर बानूडा आपस में रिश्तेदार रहे हैं। इस मामले में रोहिताश बिडोली व सुरेश को उम्र कैद की सजा हो चुकी। आनंदपाल के एनकांउटर के बाद राजू ठेहट व आनंदपाल गैंग के बीच फायरिंग भी हो चुकी है।
58 पेज का फैसला
अपर सेशन न्यायाधीश संख्या चार सुरेन्द्र पुरोहित ने 58 पेज का फैसला दिया है। दोनों को धारा 302/149 में दोष सिद्ध होने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों पर पचास-पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। इसके अलावा अन्य धाराओं में भी सजा सुनाई गई है। सभी सजा साथ-साथ चलेंगी। प्रकरण में े पैरवी अपर लोक अभियोजक रमेश पारीक ने की।
फैक्ट फाइल
घटना -22-23 जून 2005 की रात
स्थान -पलसाना के निकट
फरारी काटी-आठ साल
गिरफ्तार 16 अगस्त 13 झारखंड से
दो को पहले हो चुकी उम्र कैद