एक फीसदी थी बचने की उम्मीद
आठ साल पहले अजमेर जेल में चालक पद कार्यरत धर्मेन्द्र की अचानक तबीयत खराब हो गई थी। वह सीकर अपनी बहन के पास आ गया। यहां डॉक्टर को दिखाकर इलाज शुरू किया। दो दिन बाद ही वह कोमा में चला गया। बहनोई रघुवीर सिंह ने सलाह लेकर धर्मेन्द्र को जयपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां डॉक्टरों ने धर्मेन्द्र का लीवर फेल होना बताया। धर्मेन्द्र को वेल्टीनेटर एंबुलेंस से दिल्ली ले गए। यहां डॉक्टरों ने एक फीसदी बचने की उम्मीद जताई और तत्काल लीवर डोनर की व्यवस्था करने की कहीं। अंजू का ब्लड ग्रुप मेच होने पर लीवन डोनेट करने की सहमति जताई। 16 डॉक्टरों की टीम ने 12 घंटे चले ऑपरेशन में लीवर ट्रांसप्लांट किया।
इकलौते भाई को खोना नहीं चाहती थी
अपने भाई पर जान न्यौछावर करने वाली बहन अंजू ने बताया कि पिता के देहांत के बाद वह अपने इकलौते भाई को खोना नहीं चाहती थी। खुद के 14 वर्षीय बेटी तथा 11 वर्षीय बेटा होने के बावजूद वह भाई को बचाने के लिए तैयार हो गई। अंजू का कहना है कि उस परिस्थिति में परिवार का सहयोग मिलना उसके लिए बड़ी बात थी।
भाई-बहन के ऑपरेशन में बहनोई की रही अहम भूमिका
भाई-बहन के ऑपरेशन में बहनोई रघुवीर सिंह की भी अहम भूमिका रही। सबसे पहले उन्होंने ही पत्नी अंजू का लीवर उसके भाई को देने का फैसला लिया। रघुवीर ने बताया कि उस वक्त सोचने का मौक तक नहीं मिला। उन्होंने तत्काल अंजू को दिल्ली बुलाकर धर्मेन्द्र को लीवर देने की बात बताई। जिस पर अंजू ने सहमति जताई। फिर भी राह इतनी आसान नहीं थी। तीन घंटे में 24 यूनिट रक्त का इंतजाम करना था। रघुवीर ने कैसे जैसे रक्त का इंतजाम किया। ऑपरेशन के दौरान वह रातभर ऑपरेशन थियेटर के बाहर ही रहे। वह बताते है कि वो पल आज भी याद करते है तो रूह कांप उठती है।
भाई-बहन का प्यार हमेशा ऐसे ही बना रहे
धर्मेन्द्र का कहना है कि जीवनदान जैसे बड़े तोहफे के मुकाबले बहन को देने के लिए मेरे पास कोई उपहार नहीं है। बस भगवान से यह ही प्रार्थना है कि हर भाई को ऐसी ही बहन मिले और भाई-बहन का यह प्यार हमेशा ऐसे ही बना रहे।
दवाईयों पर खप रही कमाई
ऑपरेशन के बाद भाई-बहन स्वस्थ है। लेकिन धर्मेन्द्र्र को अब भी दवाईयां लेनी पड़ रही है। जिसका खर्च धर्मेन्द्र की आय के लगभग बराबर है। ऐसे में पिता के देहांत के बाद मां, पत्नी व दो बच्चों वाले परिवार को संभाल रहे धर्मेन्द्र की माली हालत प्रभावित हो रही है। धर्मेन्द्र सीकर जेल में चालक के पद पर कार्यरत है।