पांच साल रहे जिलाध्यक्ष, छह साल महामंत्री
हरिराम रणवां सीकर भाजपा के पांच साल से अधिक समय तक जिलाध्यक्ष रहे है। रणवां वर्ष 2010 से 2015 तक जिलाध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा पिछली भाजपा सरकार के समय श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर सहित कई जिलों के चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी मिली थी। छह साल तक जिला महामंत्री, श्रमिक संगठन, किसान संगठन, विहिप व गौसेवा सहित अन्य संगठनों में दायित्व संभाल चुके है।
सीकर को इसलिए मिली किसान मोर्चा की जिम्मेदारी
1. कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सीकर जिले के जाट नेता गोविन्द सिंह डोटासरा को देकर सभी को चौका दिया था। शेखावाटी के जाट बाहुल्य मतदाताओं पर भाजपा ने भी अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए इस रणनीति की दिशा में कदम आगे बढ़ाए है। इसके अलावा आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनाव के हिसाब से यह समीकरण काफी मायने रखेंगे।
2. किसान आंदोलनों का बड़ा केन्द्र सीकर
पिछले आठ साल में हुए बड़े किसान आंदोलनों की बात करें तो सबसे ज्यादा राज्यस्तरीय किसान आंदोलन सीकर की धरती से हुए है। ऐसे में कांगे्रस को घेरने के लिए भाजपा ने सीकर के किसान नेता को चुना है।
3. सभी संगठनों की मुहर:
पूर्व यूआईटी अध्यक्ष के नाम पर जिला व प्रदेश आलाकमान ने मुहर लगा दी। यहां से अनुमति मिलने के बाद राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने सीकर के राजनैतिक केन्द्र होने के मुद्दे को समझते हुए उनको नाम को आगे बढ़ाया।
100 दिन पहले कांग्रेस ने बढ़ाया था सियासी कद
कांग्रेस के सियासी संग्राम के बीच सीकर का कद बढ़ा था। इस दौरान शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। इसके बाद से भाजपा में एक जाट नेता को प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चाएं और तेज हो गई थी।
पिछली कार्यकारिणी में एससी मोर्चा अध्यक्ष सीकर से
भाजपा की पिछली प्रदेश कार्यकारिणी में एससी मोर्चा अध्यक्ष की जिम्मेदारी धोद के पूर्व विधायक गोरधन वर्मा को मिली थी। इसके अलावा युवा मोर्चा सहित अन्य मोर्चो में सीकर के नेताओं को जिम्मेदारी मिली थी।
2013 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली तक चर्चा में
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में हरिराम रणवां की अगुवाई में सीकर संसदीय क्षेत्र में पहली बार भाजपा ने छह सीटों पर कब्जा जमाया। खास बात यह है कि धोद सीट पर भी भाजपा ने माकपा के अभेद किले में सेध लगाई थी। इसके बाद सबसे अच्छा परिणाम देने के मामले में उनका नाम दिल्ली तक पहुंचा। उस समय के सियासी समीकरणों को देखते हुए भाजपा ने उनको यूआईटी अध्यक्ष की कुर्सी सौपी।
कर्जामाफी के झूठ को छिपाने के लिए कांग्रेस कर रही सियायत: रणवां
प्रश्न: फिलहाल देशभर में किसानों को लेकर सियासत चरम पर है। बिल किसान हितेषी तो फिर देशभर में सियासत क्यों।
उत्तर: पिछले विधानसभा चुनाव में दस दिन में कांग्रेस ने कर्जामाफी करने की घोषणा की थी। किसानों को गुमराह कर सत्ता हासिल कर ली। अब पूरे प्रदेश के किसानों के सच सामने आ गया। इस वजह से कांग्रेस अपने झूठ को छिपाने के लिए भ्रम फैला रही है।
प्रश्न: किसानों की सबसे बड़ी समस्याएं क्या है।
उत्तर: भाजपा ने पिछले कार्यकाल में बिजली के बिलों में किसानों को सब्सिड़ी दी थी। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही उसे भी बंद कर दिया। कर्जामाफी अभी तक नहीं हुई, सरकारी खरीद का किसान इंतजार कर रहे है और अटके बिजली के कनेक्शन भी कांग्रेस की विफलता है।
प्रश्न: संगठन की मजबूती का रोडमैप क्या रहेगा।
उत्तर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार लगातार किसान सहित अन्य वर्गो के लिए काफी अच्छा काम कर रही है। केन्द्र सरकार की योजनाओं को गांव-ढाणियों में बैठे किसान तक ले जाना पहली प्राथमिकता रहेगी। किसानों को विभिन्न समस्याओं से राहत दिलाने के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार को आंदोलन के जरिए घेरा जाएगा।