RBSE results 2018 : कांस्टेबल के होनहार ने 98.60 फीसदी अंक के साथ किया टॉप, स्कूल में मनाया जश्र तो घर में बांटी मिठाइयां
बारहवीं बोर्ड के परिणाम के बाद बुधवार को यहां के विद्यालयों में जश्न मनाया गया।

सीकर. बारहवीं बोर्ड के परिणाम के बाद बुधवार को यहां के विद्यालयों में जश्न मनाया गया। जगह-जगह मिठाई बांटी गई तथा गुलाल लगाकर व पटाखे छोडकऱ जमकर खुशियां मनाई गई। फतेहपुर के छात्र हरीश महला ने 12 विज्ञान संकाय में 98.60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है इंडियन पब्लिक सीनियर सेकंडरी स्कूल के प्रिंसिपल बलबीर रेवाड़ ने बताया कि हरीश के वर्ष 2016 में कक्षा दसवीं में छठवीं राज्य मेरिट आई थी। रामगढ़ तहसील के तिहाय गांव का रहने वाले हरीश के पिता ताराचंद दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं। हरीश चार बहनों का सबसे छोटा भाई है। हरीश ने बताया कि वह रोज चार से पांच घंटे पढ़ाई करता है। उसे शुरू से ही उम्मीद थी कि उसके 95 प्रतिशत से ऊपर नंबर आएंगे। हरीश का कहना है कि सफलता के लिए कठिन परिश्रम जरूरी है।

मुस्कान के 97.20 फीसदी अंक
शेखावाटी सीनियर सैकण्डरी स्कूल लोसल की छात्रा मुस्कान खान ने बारहवीं विज्ञान (बायो) में 97.20 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं। मुस्कान के पिता हबीब शिक्षक हैं, जबकि मां निशाद गृहिणी हैं। अब वह पहले डॉक्टर बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती है। संजय रणवा ने बारहवीं विज्ञान (बायो) में 97 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं। किसान भागीरथ ङ्क्षसह व गृहिणी सुमित्रा का यह लाडला अब हृदय रोग विशेषज्ञ बनना चाहता है। राहुल भींचर ने बारहवीं विज्ञान (बायो) में 96.80 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं। सुखदेव सिंह व ज्योति की इस संतान ने दसवीं बोर्ड की राज्य मेरिट में बारहवां स्थान प्राप्त किया था। अब वह डॉक्टर बनना चाहता है। विक्रम सिंह ने विज्ञान गणित में 96.20 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं। विक्रम के पिता जुगल किशोर सेना में सूबेदार हैं, जबकि मां राजूदेवी गृहिणी है। अब वह इंजीनियर बनना चाहता है। सफलता पर चेयरमैन बजरंगलाल रणवा, गोपाल रणवा ने प्रतिभाओं का सम्मान किया।
बेटी का लक्ष्य आइएएस बनना
विद्याश्रम स्कूल की छात्रा विजयलक्ष्मी सोनी ने कॉमर्स में 94.20 प्रतिशत अंक प्राप्त जिले का नाम रोशन किया है। पिता जगदीश प्रसाद सोनी सीए है। सोनी आईएएस बनना चाहती है। दसवीं कक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बाद विजयलक्ष्मी ने हार नहीं मानी। वह सफलता के लिए रात-दिन जुटी रही। परिणाम आया तो आंखे खुशी से चमक उठी। परीक्षा के दिनों में देर रात तक पढ़ाई करने के बाद भी नींद नहीं आती थी। इसी बात को लेकर कई बार माता-पिता की फटकार भी सुननी पड़ती थी। लेकिन साथ में स्कूल व परिजनों से भी हमेशा प्रोत्साहान भी मिलता । स्कूल में जश्न मनाया गया।
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