सरकारी स्कूल से दी परीक्षा, सबमें अच्छे अंक
ढांढण गांव के सांवरमल शर्मा के बेटे का 12 विज्ञान में गांव की ही सरकारी स्कूल में दाखिला था। 12 विज्ञान में छात्र हेमंत शर्मा के 82.40 फीसदी अंक आए। हिंदी में छात्र के 100 में से 39 नंबर दे रखे थे। छात्र को अन्य विषय में तीन विषय मे 90 प्रतिशत से अधिक व एक विषय मे 87 अंक आए थे। ऐसे में छात्र को 90 फीसदी से अधिक अंक आने की पूरी उम्मीद थी। होनहार जयपुर के महाराजा कॉलेज में प्रवेश लेना चाहता था। लेकिन बोर्ड की गलती के कारण छात्र का प्रवेश नहीं हो सका। मार्कशीट में सत्रांक के साथ पहले 100 में से 39 नंबर थे वहीं बाद में 100 में से 85 नंबर हो गए। इससे छात्र के कुल नंबर 82.40 प्रतिशत से बढ़कर 91.60 प्रतिशत हो गए। हेमन्त शर्मा पढ़ाई में हमेशा से ही मेधावी था। 12 वी विज्ञान वर्ग में छात्र को गणित में 100 में से 100 नंबर आए हैं। इसके अलावा अंग्रेजी में 96, केमेस्ट्री में 90 व फिजिक्स में 87 नंबर आये हैं। बाद में हिंदी में भी 85 नम्बर हो गए।
बोर्ड की गलती से नहीं हुआ प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रवेश
बोर्ड की लापरवाही किसी छात्र का कैरियर कैसे प्रभावित कर देती हैं यह छात्र हेमंत शर्मा से ज्यादा कौन समझ सकता हैं। हेमंत शर्मा जयपुर में स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय की महाराजा कॉलेज में प्रवेश लेना चाहता था। छात्र को उम्मीद थी कि उसके 90 प्रतिशत से अधिक अंक आएंगे तो प्रवेश भी हो जाएगा। जब परिणाम आया तो बोर्ड की लापरवाही छात्र पर भारी पड़ गई। छात्र के हिंदी में कम नंबर होने की वजह से छात्र के परिणाम के समय 82.40 फीसदी अंक ही आये। ऐसे में उसका महाराजा कॉलेज में प्रवेश का सपना अधूरा रह गया। जब तक बोर्ड ने संशोधित परिणाम जारी किया तब तक प्रवेश प्रकिया पूरी हो चुकी थी।
बोर्ड की छोटी सी गलती कितने बच्चों को करती होगी मायूस
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा परिणाम में इस तरह की गलतियां लगातार सामने आ रही हैं।
लगातार गलफत सामने आने की वहज से हजारो विद्याथियों के अरमानों पर पानी फिर जाता हैं। लगातार लापरवाही के बाद भी बोर्ड इसमे सुधार नही कर रहा। नंबर कम आने के कारण विद्याथियों को प्रवेश नहीं मिलता व कइयों को दूसरे विषय लेने पड़ते हैं। इससे उन्हें मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ता हैं। पिछले वर्ष भी क्षेत्र की एक छात्रा के विज्ञान विषय मे कम नंबर आए तो उसे विज्ञान की जगह कला संकाय में प्रवेश लेना पड़ा।