यह है मामला
पंचायतीराज विभाग की ओर से वर्ष 2013 में एलडीसी के साढ़े 19 हजार पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई। अभी तक सरकार महज 9486 पदों पर नियुक्ती दे सकी। इनमें भी 1600 से अधिक बेरोजगारों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, तब जाकर कही नौकरी की राह खुल सकी। उस समय पंचायतीराज विभाग की ओर से प्रत्येक ग्राम पंचायत में दो कनिष्ठ लिपिक लगाने की घोषणा की थी।
बोनस अंकों के आधार पर होनी थी भर्ती
भर्ती में मनरेगा, जलग्रहण, सर्व शिक्षा अभियान, स्वच्छ भारत मिशन में कार्यरत संविदा एवं प्लेसमेंट एजेंसियों के कार्मिकों को अनुभव आधारित बोनस अंक देने का फैसला लिया गया। अभ्यर्थियों को सीनियर सैकंडरी परीक्षा में प्राप्तांकों का 70 प्रतिशत वेटेज दिए जाने का नियम बनाया था। अनुभव के आधार पर प्रति वर्ष दस बोनस अंक दिए जाने का प्रावधान था। सरकार ने अनुभव के आधार पर एक वर्ष के लिए 10, दो वर्ष के लिए 20, तीन या अधिक वर्ष के लिए 30 बोनस अंक देने का निर्णय लिया।
वर्ष 2013 में लगी थी भर्ती पर रोक
चयन के बाद सफल 7755 अभ्यर्थियों को वर्ष 2013 में कार्यग्रहण करा दिया गया। इस बीच हाई कोर्ट ने 15 जुलाई 2013 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
दुबारा कांग्रेस सत्ता में आई तो बेरोजगारों ने शुरू किया आंदोलन
कांग्रेस के दुबारा सत्ता में आने पर प्रदेश के दस हजार से अधिक बेरोजगारों ने फिर से नौकरी हासिल करने की मुहिम शुरू कर दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने वर्ष 2019 में भर्ती को फिर से शुरू करने का वादा भी कर दिया। लेकिन एक साल से कोरोना की वजह से मामला अटका रहा।
बेरोजगार बोले, दस हजार की भर्ती को मिले नियुक्ति
बेरोजगार संघर्ष समिति के उपेन यादव ने कहा कि सरकार के आठ साल पुरानी भर्ती को हरी झंडी देने से निश्चित तौर पर बेरोजगारों को फायदा मिलेगा। लेकिन सरकार को एक साथ दस हजार बेरोजगारों को नियुक्ति देनी चाहिए। इनमें से ज्यादातर कम मानदेय पर सालों से सरकारी कार्यालयों में कार्यरत है।