यह होगा फायदा प्रदेश में हर साल किसी एक क्षेत्र विशेष में संबंधित फसल का बंपर उत्पादन होता है। ऐसे में भाव औंधे मुंह गिर जाते है। जिससे किसानों को अपनी हाड तोड मेहनत से तैयार उपज को या तो औने-पौने दामों में बेचना पडता है या सडक पर फेंकना पड़ता है। ऐसे में रूरल गोडाउन या वेयरहाउस स्कीम के जरिए किसान अपनी उपज को अच्छे भाव आने तक सुरक्षित रख सकेगा जिससे किसान की आय में इजाफा होगा। इसके अलावा किसान अपनी जमीन पर ये गोदाम बनाकर दूसरे लोगों जैसे एफसीआई या पंचायत समिति या किसानों के समूह को किराए पर दे सकेगा। जिससे उसकी अतिरिक्त आय का जरिए भी बन जाएगा।
पांच हजार मीट्रिक टन का होगा प्रोजेक्ट के तहत कम से कम पांच मीट्रिक टन क्षमता का स्टोरेज किया जा सकेगा। जिसके लिए किसान या किसानों के समूह, प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी, प्राइवेट कंपनी राज्य या भारत सरकार की कोई भी संस्था पात्र होगी। स्टोरेज में केवल उन्ही वस्तुओं का भंडारण किया जा सकता है जो सरकार के मानको के दायरे में आएगी। इसके लिए जनरल एरिया मे कुल लागत का 35 प्रतिशत, पहाड़ी एरिया या नॉर्थ ईस्ट में 50 प्रतिशत तक सब्सिडी नाबार्ड या नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड की ओर दी जाएगी।
किसान बचेगा नुकसान से रूरल गोडाउन या वेयरहाउस बनाने से संबंधित क्षेत्र में नुकसान से बचा सकेगा। साथ ही किसान उचित मूल्य आने पर अपनी उपज को बेच सकेगा। इसके लिए किसान को संबंधित बैंक में कुल लोन की 25 प्रतिशत राशि मार्जिन मनी के रूप में जमा करानी होगी।
सुधेश पूनियां, कृषि प्रबंधक