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खौफनाक…यह खबर सुनकर आप रोडवेज बसों में बैठने से पहले लाख बार सोचेंगे

locationसीकरPublished: Sep 30, 2019 07:17:02 pm

Submitted by:

Gaurav

रोडवेज की ज्यादातर बस भगवान भरोसे दौड़ रही हैं। प्रदेश में 981 बस कंडम अवधि निकलने के बाद भी सडक़ों पर फर्राटे भर रही हैं जो बीच रास्ते कभी भी परेशानी में डाल सकती हैं।

खौफनाक...यह खबर सुनकर आप रोडवेज बसों में बैठने से पहले लाख बार सोचेंगे

खौफनाक…यह खबर सुनकर आप रोडवेज बसों में बैठने से पहले लाख बार सोचेंगे

सीकर. यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरी मानने वाले राजस्थान रोडवेज की अधिकांश बसें कंडम हो चुकी है। इसकी बानगी है कि प्रदेश में 981 बस कंडम अवधि निकलने के बाद भी सडक़ों पर फर्राटे भर रही है। नई बसों को छोड़ दें तो रोडवेज की ज्यादातर बस भगवान भरोसे दौड़ रही हैं। किसी में कंडम वाहन का इंजन लगा है तो किसी में पहिये। कब धोखा दे जाए, किसी को पता नहीं है। इससे जहां एक ओर रोडवेज का घाटा सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर यात्रियों के साथ-साथ चालक व परिचालक की जान भी खतरे में रहती है। निगम प्रबंधन इन कंडम बसों को बदलने की बजाए पुरानी बसों को ही ठोक पीटकर जर्जर हालत में सडक़ों पर दौड़ा रहा है। इसका ही नतीजा है कि रोडवेज की मियाद पूरी कर चुकी ये बसें सडक़ों पर काल बनकर दौड़ रही हैं। हालांकि रोडवेज के मानकों के अनुसार आठ साल या आठ लाख किलोमीटर चलने वाली बस कंडम घोषित करने योग्य है।
यह है हकीकत
वर्तमान में प्रदेश के 52 आगारों में करीब 3 हजार 100 बसें संचालित हैं। जिनमें करीब 981 बसें कंडम हैं। पर्याप्त बसों की पूर्ति के लिए करीब 5 हजार बसों की आवश्यकता है, लेकिन संचालन 3 हजार 459 बसों का है। स्वयं की इतनी बसें नहीं होने से अनुबंधित 960 बसों का सहारा लिया जा रहा है, जो निगम के राजस्व को क्षति पहुंचा रहा है। सूत्र बताते हैं कि हालात ऐसे ही रहे तो दिसंबर 2019 तक रोडवेज के पास करीब 1950 बसें रह जाएगी। बसों में ब्रेकडाउन, बैट्री डाउन, कबानी के पट्टे टूटने, स्टेपनी फैल जैसी समस्या आम है।
निजी को बढ़ावा, खुद भुगत रहे खमियाजा
प्रबंधन की इस कमी का खमियाजा खुद रोडवेज को ही भुगतना पड़ रहा है। निजी वाहन संचालक इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। उनकी मोटी चांदी हो रही है, वहीं कई यात्रियों को नहीं चाहकर भी यात्रा के लिए निजी बसों का सहारा लेना पड़ रहा है। राजस्व प्रतिदिन इन बूढ़ी बसों से मिल रहा है। कर्मचारियों के मुताबिक रोडवेज पर लोगों का विश्वास है, इसके बावजूद बसों की कमी लोगों को खलती है। मजबूरीवश उन्हें अन्य साधनों का उपयोग करना पड़ा है।
नीलामी के लिए होगी परेशानी
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की भांति उसकी बसों की भी हालत हो गई है। उधर, बसों से पाट्र्स निकालने से कंडम बसें और भी कंडम हो गई हैं। ऐसे में इन बसों को नीलामी के लिए जयपुर या अजमेर तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है। पहले इन बसों को रोडवेज ने अजमेर स्थित वर्कशॉप भेजना चाहा, लेकिन वहां जगह के अभाव में इन्हें स्थानीय डिपो में ही खड़ा कर दिया गया। मुख्यालय से पाट्र्सों की आपूर्ति नहीं होने पर स्थानीय अधिकारियों को जब बसें चलाना मुश्किल हुआ तो उन्होंने इन बसों के पाट्र्सों को खोलना कसवाना शुरू करा दिया। किसी का इंजन, किसी के पहिये लगा कर रोडवेज ने अपनी गाड़ी तो चला ली, लेकिन यात्रियों की मंगलमय यात्रा को अमंगलमय कर दिया।
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