सीकरPublished: Dec 25, 2022 12:10:02 pm
Sachin Mathur
सीकर. शब्द भी निशब्द! स्वर भी! एक संत का जाना...स्वरों को भी विराम दे गया। संत रतिनाथ की पहचान एक संत के रूप में ही नहीं, बल्कि भजन सम्राट के रूप में भी थी!
सीकर. शब्द भी निशब्द! स्वर भी! एक संत का जाना...स्वरों को भी विराम दे गया। संत रतिनाथ की पहचान एक संत के रूप में ही नहीं, बल्कि भजन सम्राट के रूप में भी थी! ईश्वर से साक्षात करवाते...जीवन और मृत्यु के मोल को समझाते...नर की नश्वरता और ईश्वर के रहस्यों से पर्दा उठाते उनके भजन मानवीय मूल्यों को समाहित किए रहते थे। वे सूफी परम्परा के वाहक रहे तो शास्त्रीय संगीत या लोक संगीत में भी उन्हें महारथ हासिल थी। उनके जागरण में एक के बाद एक भजनों की स्वरलहरियां निर्बाध गति से चलायमान रहती थी। ऐसे ही विरले संत रतिनाथ शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। हजारों की भीड़ ने संत को नम आंखों से समाधि दी। सैकड़ों की तादात में साधु समाज भी इस क्षण का साक्षी बना।