इस साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 30 मई को पीपल पूजा
आस्था: सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं व्रत
सीकर
Published: May 17, 2022 09:37:48 pm
सीकर. इस साल 30 मई सोमवार को पडऩे वाली सोमवती अमावस्या वर्ष 2022 की अंतिम सोमवती अमावस्या होगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के पेड़ की परिक्रमा करती हैं। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है। 30 मई को ही वट अमावस्या यानी बरगद अमावस्या भी है। आखिरी सोमवती अमावस्या के दिन सुकर्मा व धृति योग का शुभ संयोग बन रहा है। खास बात यह है कि इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा।
सुकर्मा योग
इस साल 2022 में पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को थी और दूसरी सोमवती अमावस्या 30 मई को पड़ रही है। इसके बाद इस साल कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं आएगी। ज्योतिष शास्त्र में सुकर्मा योग को शुभ योगों में गिना जाता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों में सफलता जरूर मिलती है। यह योग भी 30 मई को हो रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन धृति योग किसी भवन एवं स्थान का शिलान्यास, भूमि पूजन या नींव पत्थर रखने के लिए उत्तम माना गया है।
सोमवती अमावस्या तिथि
प्रारम्भ - 29 मई रविवार, दोपहर 2.54 से
समाप्त - 30 मई ,2022, सोमवार शाम 4.59 पर
ज्येष्ठ का पावन मास शुरू
जल दान के लिए विशेष महत्व रखने वाला ज्येष्ठ का महीना मंगलवार से शुरू हो गया है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि जल दान के लिए ज्येष्ठ का महीना विशेष माना जाता है। ज्येष्ठ के महीने में गर्मी अधिक रहती है लिहाजा लोग अपने पूर्वजों की याद में प्याऊ लगाते हैं। ठंडे जल की मशीन लगवाते हैं। ठंडे जल से भरा कलश दान करते हैं। ज्येष्ठ के महीने में पानी पिलाने का बहुत महत्व है शास्त्रों में भी प्यासे को पानी पिलाने का विशेष महत्व बताया गया हैं।इसके अलावा लोग ज्येष्ठ के महीने में भीषण गर्मी में अपने छत की मुंडेर पर बाग बगीचों में पक्षियों के लिए पानी और दाना रखते हैं यह ज्येष्ठ का महीना प्राकृतिक संरक्षण से भी जुड़ा हुआ है कारण हमारे जो भी देवता गण है उनका कोई न कोई पक्षी अथवा पशु से संबंध है। पशुऔर पक्षी को ज्यादा प्यास लगती हैं उनको पानी पीने के लिए घर के बाहर छत के ऊपर पानी और दाना अवश्य रखना चाहिए इसके अलावा सभी के लिए जल दान करने का विशेष महत्व है।
पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि ज्येष्ठ के महीने में गंगा दशहरा, निर्जलाएकादशी जैसे बड़े पर्व भी आते हैं । गंगा दशहरा हमें जल दान का महत्व बताता है तो निर्जला एकादशी हमें पानी के संरक्षण का महत्व बताती हैं कि दिनभर निर्जल रहकर दूसरे को पानी पिलाकर पुण्य कैसे कमाया जाता है। ज्येष्ठ के महीने में जल संरक्षण का महत्व भी है और जल दान का महत्व भी है। संकट मोचन हनुमान की पूजा मंगलवार के दिन की जाती है. ज्येष्ठ मास में पडऩे वाले मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है. इस दिन लोग भंडारा करते हैं। अत्यधिक गर्मी के कारण लोग प्याऊ लगवाते हैं. जगह-जगह चौराहे पर पंडाल लगाकर लोग पानी पिलाते हैं, भंडारा करते हैं. बड़े मंगल को बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन संकट मोचन हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा था, क्योंकि भीम को अपने बल का घमंड हो गया था. दूसरी मान्यता के अनुसार इसी दिन हनुमान जी ने विप्र रूप में वन में विचरण करते हुए प्रभु श्रीराम से भेंट की थी।
ज्येष्ठ मास में बड़ा मंगल
इस बार ज्येष्ठ मास की शुरुआत बड़े मंगल से हो रही है और इसका समापन भी मंगलवार को ही हो रहा है. इसमें पांच मंगलवार मिलेंगे. ये पांच मंगलवार हैं- 17 मई को, 24 मई को, 31 मई को, 7 जून को और 14 जून को है।

इस साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 30 मई को पीपल पूजा
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