पूजा ने अपनी पढ़ाई सांवलोदा लाडखानी की राजकीय माध्यामिक विद्यालय में की। जहां कक्षा सात में शारीरिक शिक्षक मघाराम ने उसे हेंडबॉल का प्रशिक्षण देना शुरू किया। बाद में कोच भंवर सिंह ने उसकी बागडौर संभाली। बेहतर प्रदर्शन करते हुए पूजा ने 4 बार जिला व राज्य तथा 2 बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। पिछली साल जयपुर में आयोजित 8वीं एशियन महिला यूथ हैंडबॉल चैंपियनशिप में चयन के बाद पूजा इस बार भी जूनियर विश्व चैंपियनशिप के लिए चुनी गई। जो 22 जून से 3 जुलाई तक यूरोप में आयोजित हो रहा है।
पूजा के पिता सुरेन्द्र सिंह गौड़ छोटी- मोटी खेती के साथ मैकेनिक का काम करते हैं। जो कुओं में उतरकर मोटर भी ठीक करते हैं। इसी के साथ पूजा सहित तीन बेटियों व बेटे का परिवार चलता है। ऐसे में पूजा भी परिवार का पूरा सहयोग करती है। जब भी वह घर होती है तो परिवार के साथ खेती में हाथ बंटाती है।
पिता के साथ ही मैकेनिक पूजा के चाचा उम्मेद सिंह ने बताया कि खराब माली हालत की वजह से पूजा को खेल में कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। हाल में एकेडमी की राशि के साथ चैंपियनशिप के लिए यूरोज जाने के लिए भी करीब 1 लाख 80 हजार रुपए की व्यवस्था उन्होंने उधारी से की है। उन्होंने मांग की है कि सरकार को खिलाडिय़ों के आने- जाने के साथ उसके प्रशिक्षण व अन्य सभी खर्च अपने स्तर पर उठाने चाहिए। ताकि गरीब परिवार के खिलाडिय़ों का भी मनोबल बना रहे।