scriptदेश के इस राज्य में सरकार के साथ बदल जाती है सावरकर की पहचान | Savarkar's identity changes with the change government in this state | Patrika News

देश के इस राज्य में सरकार के साथ बदल जाती है सावरकर की पहचान

locationसीकरPublished: Oct 19, 2019 05:17:52 pm

प्रदेश के विद्यार्थियों को जहां पहले दामोदर विनायक सावरकर को वीरता के किस्से पढ़ाए जाते थे। इधर, प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आते ही शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने पाठ्य पुस्तकों की समीक्षा के लिए कमेटी गठित कर दी है।

देश के इस राज्य में सरकार के साथ बदल जाती है सावरकर की पहचान

देश के इस राज्य में सरकार के साथ बदल जाती है सावरकर की पहचान

सीकर. महाराष्ट्र व हरियाणा के सियासी संग्राम के बीच देशभर में सावरकर के नाम पर बहस चल रही है। लेकिन देश में राजस्थान इस तरह का राज्य है जहां सरकार के बदलने के साथ सावरकर की पहचान भी बदल गई। प्रदेश के विद्यार्थियों को जहां पहले दामोदर विनायक सावरकर को वीरता के किस्से पढ़ाए जाते थे। इधर, प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आते ही शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने पाठ्य पुस्तकों की समीक्षा के लिए कमेटी गठित कर दी। कमेटी ने कक्षा दसवीं व बारहवीं की पुस्तकों में सावरकर के नाम के आगे से वीर हटा दिया गया। पुस्तकों में लिखा कि सावरकर ने अंग्रेजों के सामने दया याचिकाएं पेश की। इस मामले को लेकर अब प्रदेश में भी सियासत गर्मा गई है। एक तरफ भाजपा के नेता सावरकर को भारत रत्न देने की पैरवी करने में जुटे है तो शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने बड़ा सवाल दागा कि जब केन्द्र में छह साल से मोदी सरकार है तो फिर एनसीईआरटी की पुस्तकों में सावरकर क्यों नहीं पढ़ाया जा रहा है।
दया याचिकाओं का पुस्तक में उल्लेख
सावरकर का लंबा समय अंडमान सेलूलर जेल में बीता। जेल में कठोर यातनाएं दी गई। जेल के कष्टों से परेशान होकर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष दया याचिकाएं भेजी। पहली दया याचिका 30 अगस्त 1910, दूसरी 14 नवम्बर 1911 को भेजी गई, जिसमें सावरकर ने स्वयं को पुर्तगाल का पुत्र कहा। इसके अलावा पुस्तकों से वीर बिल्कुल हटा दिय गया है।
भाजपा ने यह पढ़ाया
राजस्थान में पहले वीर थे सावरकरसरकार ने कक्षा दसवीं की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में पाठ तीन में बदलाव किया है। अंग्रेजी सामाज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष नाम पाठ में वीर सावरकर के हिस्से में परिवर्तन इस साल हुआ है।
एनसीईआरटी की पुस्तक में भी नहीं है जिक्र
वीर सावरकर को भारत रत्न देने के विवाद के मामले में एक नया मोड सामने आया है। एनसीईआरटी की ज्यादातर पुस्तकों में दामोदर विनायक सावरकर का ज्यादा जिक्र नहीं है। जबकि भाजपा के केन्द्र में आने के बाद कुछ पुस्तकों में बदलाव भी हुआ है। इस मामले में मौजूदा शिक्षा मंत्री डोटासरा का कहना है कि राजस्थान के विद्यार्थियों को एक दम सही इतिहास पढ़ाया है, पिछली भाजपा सरकार ने संघ के इशारे पर गलत तथ्य जोड़ दिए थे। दूसरी तरह पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है कि एनसीईआरटी की पुस्तकों में बदलाव की कवायद चल रही है, जल्द सभी को सच पढऩे को मिलेगा।
सावरकर को एक जन्म में दो बार आजीवन कारावास: भास्कर
सावरकर के जीवन के दो पहलू हैं। क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के कारण उन्हें एक ही जन्म में दो बार आजीवन कारावास की सजा देते हुए अंडमान निकोबार दीप समूह कि सेल्यूलर जेल भेज दिया गया। लगभग 10 साल तक वहां रहने के दौरान सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष कई बार माफीनामा पेश किया। इसके बाद राजनीतिक गतिविधियों में भाग न लेने की शर्त पर जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद सावरकर ने क्रांतिकारी और राजनीतिक गतिविधियों के स्थान पर उस विचारधारा पर अमल करना प्रारंभ कर दिया जो भाजपा के काफी निकट समझी जाती है, सारा विवाद इसी कारण है।-
अरविन्द भास्कर, कक्षा बारहवीं इतिहास पुस्तक के लेखक
सावरकर ने माफी मांगी थी, किस बात का भारत रत्न: डोटासरा
वीर सावरकर ने आजादी के संग्राम में ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे उनके नाम के आगे वीर या देशभक्त जोड़ा जाए। सावरकर को किस बात का भारत रत्न दिया जाए। इतिहास गवाह है कि सावरकर ने गुलामी करने के लिए दया याचिका पेश की। कांग्रेस ने युवा पीढ़ी को हमेशा सच्चाई से अवगत कराने का काम किया है। सावरकर ने स्वयं को पुर्तगाल का पुत्र भी कहा। पिछली सरकार के समय शिक्षा का रिमोट भारती भवन से चलता था। इसलिए पुस्तकों को भी सियासी जरिया बना लिया।
गोविन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री
इस तरह के पत्र तो गांधी ने भी लिखे थे: देवनानी
कांग्रेस नेताओं को हमेशा एक परिवार के महिमा मंडन के अलावा कुछ नजर नहीं आता। वीर सावरकर ने जेल में रहकर जिस तरह की यातनाए सही थी, इस तरह की यातना किसी कांगे्रसी ने 14 दिन भी नहीं सही। कांग्रेस जिस तरह के पत्रों को लेकर माफी की बात कह रही है, इस तरह के पत्र तो गांधीजी सहित अन्य ने भी लिखे। भाजपा ने कभी गलत इतिहास पढ़ाने का काम नहीं किया।
वासुदेव देवनानी, पूर्व शिक्षा मंत्री
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो