विभाग की ओर से पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के अधिकतम दो बच्चों को कक्षा छह पास करने पर निर्माण श्रमिक शिक्षा एवं कौशल सहायता योजना के तहत सहायता मिलती है। इस योजना में आठ हजार रुपए तक की सहायता दी जाती है। कई स्कूलों एवं निर्माण श्रमिकों द्वारा जाली अंकतालिकाओं तथा प्रमाणपत्र के माध्यम से सहायता राशि प्राप्त करने के लिए आवेदन किये जा रहे हैं, जिनकी जांच एवं सत्यापन के लिए विभागीय पोर्टल एलडीएमएस को शिक्षा विभाग के पोर्टल शाला दर्पण से जोड़ा गया है।
फर्जी दस्तावेज लगाए तो कानूनी डंडा भी
जाली दस्तावेज अथवा ठेकेदार का विवरण, योजनाओं के लिए अनिवार्य दस्तावेज आदि यदि जाली प्रस्तुत करने पर विभाग अब कानूनी कार्रवाई भी करेगा। वहीं ऐसे आवेदकों का आवेदन निरस्त कर निर्माण श्रमिक का पंजीयन निरस्त करने की कार्यवाही विभाग द्वारा की जाएगी। वहीं पुराने आवेदनों का जल्द वरीयता के आधार पर सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं।
एक क्लिक से खुलेगा राज
श्रम विभाग को फिलहाल अंकतालिओं के सत्यापन के लिए शिक्षा विभाग की मदद लेनी पड़ती है। ऐसे में कई बार तो महीनों तक अंकतालिकाओं का सत्यापन नहीं हो पाता है। दूसरी सरकार शिक्षा विभाग के शाला दर्पण पोर्टल पर सत्यापन संबंधी अधिकतर सूचनाएं उपलब्ध है। ऐसे में श्रम विभाग ने आवेदनों को शिक्षा विभाग के पोर्टल से लिंक करने की योजना बनाई है। इससे एक क्लिक में राज खुल सकेगा। इतना ही नहीं इस पोर्टल की मदद से छात्रवृत्ति वितरण की व्यवस्था भी सही तरह से सुचारू गति से चल सकेगी। सभी तरह की जानकारियां इसमें इंद्राज की जा सकेंगी।
सीकर में सबसे ज्यादा पंजीकृत
श्रम विभाग में सबसे ज्यादा श्रमिक पंजीयन का रेकार्ड भी सीकर जिले के नाम पर है। इस कारण सभी योजनाओं में आवेदन भी यहां सबसे ज्यादा जमा हुए है। लेकिन बजट अन्य जिलों के समान मिलने के कारण सैकड़ों आवेदकों को अब तक पैसा नहीं मिला है। पिछले दिनों जिला परिषद सभागार में हुई बैठक में भी यह मामला गूंजा था। आश्वासन दिया था कि दूसरे जिलों में जो बजट शेष रहा है उसे सीकर में शिफ्ट कराया जाएगा।
इन योजनाओं में मिलता है फायदा