फैक्ट फाइल:
निजी व सरकारी स्कूल के विद्यार्थी क्लास ले रहे: 88 फीसदी
कॉलेज विद्यार्थी क्लास ले रहे: 30 से 35 फीसदी
स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई: 4 से 5.30 घंटे
कॉलेजों में नियमित पढ़ाई: 2 से 4 घंटे
पूरी तरह स्कूल से दूर विद्यार्थी: 12 फीसदी
कॉलेजों से सोशल डिस्टेंस: 60 फीसदी
इसलिए कॉलेज विद्यार्थियों का सोशल डिस्टेंस:
1. कॉलेज में दाखिले के साथ सोच में बदलाव:
एक्सपर्ट का मानना है कि कॉलेज में दाखिला लेते ही ज्यादातर विद्यार्थियों की सोच स्कूल की बंदिश से आजादी की हो जाती है। ऐसे में कुछ विद्यार्थी क्लासों से पूरी तरह दूर हो जाते है। एक्सपर्ट का कहना है कि कॉलेज परीक्षाओं के मूल्यांकन पद्वति में बदलाव से ही यह संभव है।
2. कोरोना की वजह से बेपटरी शैक्षणिक सत्र:
कोरोना की वजह से लगातार दूसरे साल भी स्कूल व कॉलेजों का शैक्षणिक सत्र बेपटरी है। ऐसे में अभी तक परीक्षाएं भी नहीं हुई है। ऐसे में ज्यादातर विद्यार्थियों की सोच है कि पहले पुरानी परीक्षाएं दें इसके बाद ही ऑनलाइन क्लास लें।
3. संसाधनों का अभाव:
प्रदेश के 40 फीसदी के अधिक विद्यार्थियों के पास खुद का एंड्रॉइड फोन नहीं है। इसमें बेटियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इस कारण भी कॉलेज विद्यार्थी ऑनलाइन कटेंट से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि सरकार को स्कूल शिक्षा की तरह नवाचार करते हुए रेडियो, दूरदर्शन पर पढ़ाई करानी चाहिए।
केस एक: शिक्षक घर नहीं पहुंचते तो बच्चों के आने लग जात है कॉल
शिक्षा विभाग की ओर से जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है वहां शिक्षकों को घर-घर भेजा जाता है। शिक्षकों ने बताया कि कई बार जाने में दस मिनट की भी देरी हो जाती है बच्चों खुद फोन कर पूछने लग जाते हैं कि आज क्लास नहीं होगी क्या। इसके अलावा ऑनलाइन कटेंट वाले गु्रप में भी बच्चों की ओर से अवकाश के दिन भी कटेंट मांगा जाता है।
केस दो: दो हजार की संख्या में महज 450 ने देखा कटेंट
शेखावाटी के सभी कॉलेजों की ओर से विद्यार्थियों की कटेंट दिया जा रहा है। एक निजी कॉलेज में 2 हजार से अधिक विद्यार्थी नामांकित है। लेकिन महज 450 विद्यार्थियों ने ही गुरुवार को कटेंट देखा। लेकिन 210 ने कटेंट को डाउनलोड करना भी उचित नहीं समझा। जबकि मंगलवार को महज 90 विद्यार्थियों ने ही कटेंट को डाउनलोड किया।
एक्सपर्ट व्यू:
देश के कुछ कॉलेज में आज भी अनुशासन स्कूलों जैसा ही है। लेकिन ज्यादातर कॉलेजों में विद्यार्थी प्रवेश लेते ही आजादी की सोच में उलझ जाते हैं। कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते है जो कॉलेज शिक्षकों, अभिभावक व अपने आत्म अनुशासन के दम पर कम बैक भी करते हैं। इससे उनको प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छी सफलता भी मिलती है। विद्यार्थियों को भी स्कूल की तरह कॉलेज विद्यार्थियों की पढ़ाई को महत्व देना होगा।
डॉ. ज्योत्सना सिखवाल, सीकर