अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की राह में चुनौती
1. शिक्षक: अभी तक नहीं हुई एक भी भर्ती
कांग्रेस ने सत्ता में आते ही प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की शुरूआत की। नवाचार के सफल होने पर शिक्षा विभाग ने ब्लॉक स्तर पर भी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की पहल शुरू कर दी। लेकिन अभी तक नियमित भर्ती एक भी पूरी नहीं हो सकी।
2. भवन: हिन्दी माध्यम स्कूलों के भरोसे
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की शुरूआत सरकार ने हिन्दी माध्यम स्कूलों के भवनों से की है। ब्लॉक स्तर पर शुरू हुए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था भी भामाशाह के भरोसे है। शिक्षा विभाग की ओर से अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए अलग से बजट उपलब्ध कराने की मांग भी लगातार गूंज रही है।
3. स्कूल चयन में विवाद: 65 स्थानों पर हुआ विरोध
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की राह में बड़ी चुनौती स्थान चयन भी है। जिला मुख्यालय के स्कूलों की व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर पर आती उससे पहले ही सरकार ने ब्लॉक स्तर पर स्कूल खोलने की घोषणा कर दी। प्रदेश में 65 से अधिक स्थानों पर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की वजह से हिन्दी माध्यम बंद होने को लेकर विरोध किया गया।
फिर भी जुड़ाव: एक सीट के लिए 25 से 40 टक्कर में
अंग्रेजी माध्यम स्कूल भले ही अभी संसाधनों के लिए जूझ रहे हो लेकिन दाखिले को लेकर इस बार भी विद्यार्थियों में काफी क्रेज देखने को मिला। जयपुर, अलवर, अजमेर, सीकर, कोटा सहित कई जिलों में एक-एक सीट के दाखिले के लिए 25 से 40 विद्यार्थी दौड़ में रहे।
फैक्ट फाइल
वर्तमान में अंग्रेजी माध्यम 1600
कार्यरत शिक्षक 10 हजार
रिक्त पद: लगभग 10 हजार
एनटीटी शिक्षक 1901
बिज्र कोर्स की अवधि 3 महीने
सरकार करें पहल तो मिले राहत
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के प्रति शहरी क्षेत्रों में काफी क्रेज देखने को मिल रहा है। कई जगह लॉटरी से नैनिहालों को दाखिले मिले है। सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्र में खोले गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अभी भी पद रिक्त है। नई भर्ती हो नहीं सकी है। शैक्षिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में फिलहाल कार्यरत स्टाफ के लिए पाठ्यक्रम तैयार कराया जा सकता है। इससे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की समस्या कम हो सकेगी। इसके अलावा अन्य शिक्षकों से भी रूचि के हिसाब से आवेदन मांगे जा सकते हैं।
महेन्द्र पाण्डे, महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ