scriptआंगन में संभालकर रखना एक शजर…फल नहीं, छाया तो देगा | senior citizen day special | Patrika News

आंगन में संभालकर रखना एक शजर…फल नहीं, छाया तो देगा

locationसीकरPublished: Aug 21, 2019 01:50:40 am

Submitted by:

Narendra

सीनियर सिटीजन विशेष:

sks

skk

सीकर. कुछ ऐसा ही सुख है घर परिवार में बुजुर्ग का। भले ही वे काम करे या न करे, लेकिन उनके अनुभव जिंदगी को सरल बना देते हैं। बुजुर्ग, किसी भी परिवार के हो, वो गहरी जड़ होते हैं, जिस पर पूरा परिवार टिका हुआ होता है। जीवन बिताने के लिए नहीं संस्कार और संस्कृति को बचाने और बढ़ाने वाला होना चाहिए। इसी ध्येय के साथ जिले में कई सीनियर सिटीजन मिसाल बन गए हैं। ढलती उम्र के पड़ाव पर जिंदादिली से अपने जीवन को समाज और संस्कृति को बचाने में जुटे हुए हैं। २४ घंटे बिना थके शिक्षा या समाज के प्रत्येक कार्यक्रम में शिरकत करने वाले ये बुजुर्ग संस्कृति और संस्कार के लिए सेवाएं दे रहे हैं। शिक्षा या समाज से जुड़ा कोई कार्यक्रम हो या संस्कृति व धर्म से जुड़ा कोई समारोह, सबमें इनकी सहभागिता जरूरी सी हो गई है। फिर बात चाहे रामलीला मैदान में सांस्कृतिक मंडल की ओर से आयोजित होने वाली रामलीला की हो, तीज या गणगौर मेले की हो या श्याम मंदिर महोत्सव की। सबमें इनकी सहभागिता संस्कृति के संवाहक की रहती है।
अभिनय से शुरुआत, अब संभाल रहे जिम्मेदारियां
66 वर्षीय इंदोरिया 10 साल की उम्र से सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े हैं। रामलीला मैदान में शुरुआती प्रार्थना से रंगमंच से जुड़ाव बढ़ाने वाले इंदोरिया ने रामलीला में वानर से लेकर कौशल्या और विभीषण का कई दशकों तक अभिनय किया। सांस्कृतिक मंडल में संयुक्त मंत्री इंदोरिया पर गणगौर-तीज की ऐतिहासिक मूर्ति की सार संभाल और मेले में उनकी शोभायात्राओं की जिम्मेवारी लेते हैं। चिरंजी पनवाड़ी की गली स्थित श्याम मंदिर की कमेटी में बतौर मंत्री यह मासिक समारोह से लेकर फाल्गुनी मेले की पदयात्रा और खाटू स्थित सीकर धर्मशाला की देखरेख भी अपने जिम्मे रखते हैं। जिले की विभिन्न कथाओं और यज्ञों के संयोजन में भी इनकी अहम भूमिका रहती है।
ढिलाई में अटकी बुजुर्गों की राहत
जिले की कुल आबादी में २९ फीसदी भागीदारी होने के बावजूद बुजुर्गों की राहत कागजों में ही दौड़ रही है। जिला मुख्यालय पर सरकारी स्तर पर वृद्धाश्रम नहीं होने से बुजुर्गों का एकाकी जीवन पड़ रहा है। समाज कल्याण विभाग और एनजीओ के बीच तालमेल का अभाव होने के कारण वृद्धाश्रम नहीं बन पा रहा है। जबकि करीब एक वर्ष जिला कलक्टर ने वृद्धाश्रम निर्माण के लिए एनजीओ को हरी झंडी दिखा दी थी। एनजीओ के कांतिप्रसाद पंसारी ने बताया कि वृद्धाश्रम की नियम संबंधी शर्तों की जानकारी समाज कल्याण विभाग से ली जाएगी। इसके बाद जल्द ही वृद्धाश्रम शुरू करवा दिया जाएगा।
जिंदगी जिंदादिली का नाम
पिछले दस वर्ष से रोजाना ट्रस्ट की धर्मशाला में व्यवस्थापक के रूप में सेवाएं देने वाले सांवरमल बालाजी नगर परिषद में सफाई निरीक्षक रह चुके हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने खुद को जिंदादिल रखने के लिए समाज के नाम अपना जीवन समर्पित कर दिया है। सांस्कृतिक मंडल की रामलीला में बतौर हनुमान का अभियन करने वाले सांवरमल शहर में बालाजी के नाम से जाने जाते हैं। बकौल सांवरमल बालाजी वे रोजाना अपने पुराने दोस्तों से मिलते हैं और एक दूसरे की समस्याओं पर मंथन कर निदान करते हैं। उनका कहना है कि नौकरी करने वाले अधिकांश लोग सेवानिवृत्ति के बाद महज एक कमरे में कैद होकर रह जाते हैं। एेसे में वृद्धाश्रम हो तो हम उम्र एक साथ रहे और एकाकीपन से निजात मिले।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो