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फिर सबसे ठंडा रहा शेखावाटी, पाले से बचने की जुगत में लगे किसान

locationसीकरPublished: Dec 04, 2020 09:01:04 am

Submitted by:

Sachin

राजस्थान के शेखावाटी इलाके में शुक्रवार को तापमान में हल्की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई। अंचल के फतेहपुर कृषि अनुसंधान केंद्र में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 5.6 डिग्री दर्ज हुआ।

फिर सबसे ठंडा रहा शेखावाटी, पाले से बचने की जुगत में लगे किसान

फिर सबसे ठंडा रहा शेखावाटी, पाले से बचने की जुगत में लगे किसान

सीकर. राजस्थान के शेखावाटी इलाके में शुक्रवार को तापमान में हल्की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई। अंचल के फतेहपुर कृषि अनुसंधान केंद्र में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 5.6 डिग्री दर्ज हुआ। जो गुरुवार के मुकाबले 1.6 डिग्री ज्यादा रहा। पिछले एक सप्ताह में ये पहली बार है जब न्यूनतम तापमान पांच डिग्री से ऊपर रहा है। इससे पहले 26 नवंबर को न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री दर्ज हुआ था। जिसके बाद से अंचल में तापमान लगातार पांच डिग्री से कम बना रहा। जिसमें सबसे कम तापमान 29 नवंबर को 1.8 डिग्री दर्ज हुआ था। इधर, शुक्रवार को तापमान में हल्की बढ़ोत्तरी के बाद भी सर्दी का असर कायम है। अंचल के कई इलाकों में ओस व कोहरे के साथ ठिठुराने वाली सर्दी रही। हालांकि धूप खिलने के बाद मौसम साफ होने के साथ राहत बढ़ रही है। बाहरी इलाकों में सर्दी से बचने के लिए आज भी लोग अलाव जलाते दिखे।

चूरू व सीकर फिर रहे देश के सबसे ठंडे क्षेत्र
इधर, शेखावाटी के तीनों जिले गुरुवार को भी देश के सबसे ठंडे इलाकों में शुमार रहे। जिनमें चूरू व सीकर जिले तो अव्वल दो स्थानों पर काबिज रहे। वहीं, स्काई मेट वेदर रिपोर्ट के अनुसार झुंझुनूं का पिलानी इलाका भी टॉप दस ठंडे स्थानों में आठवें नम्बर पर शामिल रहा।

अस्थाई राहत
इधर, मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार तापमान में हल्की बढ़ोत्तरी अंचल के लिए अस्थाई राहत ही है। आने वाले दिनों में हिमालय क्षेत्र में होने वाली बर्फबारी से तापमान में गिरावट ही दर्ज होगी।

खेतों में दिखने लगी लो टनल
इधर, शेखावाटी में पारे के उतार चढ़ाव के बीच किसानों ने भी फसलों को मौसम के प्रकोप से बचाने की जुगत शुरू कर दी है। तापमान में गिरावट के साथ पडऩे वाले पाले की आशंका को देखते हुए किसानों ने खेतों में फसलों पर लो टनल लगाना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि मौजूदा मौसम के हिसाब से कभी भी पाला पड़कर फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में फसलों के बचाव के लिए उन्होंने खेतों में लो टनल के साथ अन्य उपाय भी शुरू कर दिए हैं।

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