scriptShekhawati's first blind school opened on its own | दो बेटी नेत्रहीन तो भी नहीं मानी हार, अपने दम पर खोल दिया शेखावाटी का पहला नेत्रहीन स्कूल | Patrika News

दो बेटी नेत्रहीन तो भी नहीं मानी हार, अपने दम पर खोल दिया शेखावाटी का पहला नेत्रहीन स्कूल

locationसीकरPublished: Dec 04, 2022 12:19:45 pm

Submitted by:

Ajay Sharma

मां और बेटियों ने जुनून से हराया दिव्यांगता: नेत्रहीन विद्यार्थियों की रोशन हुई राहें
दोनों बेटियों का बैंक में हुआ चयन, एक दिल्ली तो दूसरी सीकर बैंक में दे रही सेवा
स्कूल के चार विद्यार्थियों को भी मिली सरकारी नौकरी, खुद अपने दम पर चला रही विशेष आवासीय विद्यालय

दो बेटी नेत्रहीन तो भी नहीं मानी हार, अपने दम पर खोल दिया शेखावाटी का पहला नेत्रहीन स्कूल
दो बेटी नेत्रहीन तो भी नहीं मानी हार, अपने दम पर खोल दिया शेखावाटी का पहला नेत्रहीन स्कूल

अजय शर्मा
दिव्यांगता को मात देकर सफलता का इतिहास लिखने की यह संघर्षभरी कहानी है। इसमें अहम किरदार है सीकर की निर्मला कंवर शेखावत का। दो बेटियां बचपन से नेत्रहीन होने के बाद भी निर्मला ने हार नहीं मानी। उन्होंने बेटियों को सामान्य बच्चों की तरह शिक्षा दिलाने की ठानी। लेकिन सीकर में ब्रेललिपि का शिक्षक नहीं मिला। कुछ दिन मायूस रहने के बाद वह बेटियों को पढ़ाने के लिए दिल्ली ले गई। यहां दोनों को विशेष विद्यालय में पढ़ाई कराई। इस बीच मन में ख्याल आया कि न जाने सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले के और कितने बेटे-बेटियां है जो दिव्यांगता की जंजीरें को तोडऩा चाहते है लेकिन कोई स्कूल नहीं है। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2015 में सीकर में दिव्य ज्योति नेत्रहीन शिक्षण संस्थान की स्थापना की। मानवता की सेवा के बीच निर्मला की छोटी बेटी रिन्कू शेखावत का दिल्ली स्थित एक सरकारी बैंक में डिप्टी मैंनेजर के पद पर चयन हो गया। पिछले दिनों बड़ी बेटी आशा शेखावत की भी सरकारी बैंक में लिपिक के पद पर नौकरी लग गई। खास बात यह है कि दोनों बेटी नेत्रहीन होने के बाद भी आसानी से कम्प्यूटर पर काम करती है। विद्यालय में बच्चों को शिक्षा के साथ आवास व भोजन की व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है।

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