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शेखावाटी के इस 10 वर्षीय लाडो की दर्द भरी दास्तां सुन आप भी रो पड़ेंगे…

locationसीकरPublished: Aug 30, 2017 12:11:00 pm

Submitted by:

vishwanath saini

यह है लोसल के प्रेमपुरा का ममता भाटी, इसकी दर्द भरी दास्ता आपको रोने पर कर देगी मजबूर

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सीकर.

आर्थिक तंगी एक दस वर्षीय मासूम की आंखों की रोशनी का रोड़ा बनी हुई है। लाचार माता-पिता के पास अपनी इस लाडो की आंखों में वापस ज्योति लाने के लिए ऑपरेशन खातिर एक फूटी कौड़ी तक नहीं है। जबकि इस जरूरतमंद बेटी का सपना है वह पढ़ लिखकर डॉक्टर ही बने। ताकि किसी और जरूरतमंद का इलाज कर वह उसकी पीड़ा को दूर कर सके। इधर, स्कूल की इस होनहार बालिका की बेरंग जिदंगी को वापस रंगीन करने के लिए प्रधानाचार्य ने गोदनामा तैयार किया है। जिसके जरिए अपील की गई है कि कोई भामाशाह इस छात्रा को गोद लेकर ऑपरेशन में सहयोग कर सके और यह लाडो फिर से देखने लगे।
भामाशाह की तलाश…बड़े खर्चे से संभव होगी आंखों की प्लास्टिक सर्जरी


जी हां, यह व्यथा है लोसल के प्रेमपुरा स्थित वार्ड संख्या सात में रहने वाली बेबस लाडो ममता भाटी की। जिसकी आंखों में अचानक खराबी आ जाने के कारण उसकी आंखों की रोशनी चली गई है और वह देख नहीं पा रही है।
घर की माली हालत खराब होने के कारण परिजनों की इतनी हैसियत नहीं है कि ममता का महंगा इलाज कराकर वे इसके वीरान जीवन में खुशियां लौटा सकें। ममता के पिता नाथूराम का कहना है कि दिनभर चेजा-पत्थर कर इतना ही जोड़ पाता हूं कि शाम की दाल रोटी नसीब हो जाए। पांच बहन-भाइयों में ममता की आंखों में दिक्कत के कारण पिछले कई महीनों से वह देख नहीं पा रही है। उपचार के लिए इसे पहले सरकारी अस्पताल में लेकर गया था। वहां से इसे जयपुर रैफर कर दिया था। जयपुर में चिकित्सकों ने बताया कि आंखों का कोई पुराना रोग है जो अब ऊभर कर आया है। इसके लिए आंखों का ऑपरेशन कर प्लास्टिक सर्जरी करनी होगी। इससे आंखों में वापस रोशनी आ सकती है। लेकिन, इसके लिए करीब सवा लाख रुपए खर्च होंगे।
उम्मीद की किरण

कार्यवाहक प्रिंसीपल रेणु सोनी का कहना है कि ममता कक्षा छह की छात्रा है जो पढ़ाई में ठीक है। एनजीओ राज दुरूस्त शिक्षा को गोद दिया गया है। निदेशक मोहनराज जाखड़ के अनुसार ऑपरेशन के लिए 25 हजार से अधिक की राशि जुटा ली गई है। बाकी के रुपयों की व्यवस्था होते ही ममता को जयपुर ले जाकर तुरंत ऑपरेशन करा लिया जाएगा।
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