सीकरPublished: Jul 22, 2021 05:57:00 pm
Suresh
बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने में हनुमानगढ़ पहले नम्बर परबांसवाड़ा-डूंगरपुर ऑफलाइन: जनजाति बाहुल्य इलाकों के अधिकतर बच्चों के पास नहीं हैं एंड्रॉइड मोबाइलघर-घर जाकर पढ़ा रहे शिक्षक
ऑनलाइन पढ़ाई में सीकर तीसरे नम्बर पर, हनुमानगढ़-जयपुर आगे
अजय शर्मा@ सीकर. देशभर में भले ही मोबाइल फोन की संख्या लगातार बढ़ रही हो लेकिन राजस्थान के जनजाति बाहुल्य इलाकों में अब भी कई परिवारों के पास एंड्रॉइड मोबाइल फोन नहीं है। शिक्षा विभाग के बैक टू स्कूल कार्यक्रम की ताजा रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। संसाधनों के अभाव में बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ व उदयपुर सहित पांच जिलों के अधिकतर विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। इन क्षेत्रों में शिक्षकों की टीम विद्यार्थियों को रोजाना घर-घर जाकर पढ़ाई करवा रही है। जबकि हनुमानगढ़ व जयपुर जिले के विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई में सबसे आगे हैं। इन विद्यार्थियों को नियमित रूप से ऑनलाइन कंटेंट भेजा रहा है। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के मामले में सीकर प्रदेश में तीसरे नम्बर पर है। प्रदेश के एक फीसदी विद्यार्थियों का पढ़ाई से अभी भी सोशल डिस्टेंस है।
विभाग ने 57 फीसदी विद्यार्थियों की पढ़ाई का जाना सच
शिक्षा विभाग के शिक्षकों की ओर से विद्यार्थियों को नियमित तौर पर फोन कॉल भी किए जा रहे हैं। अब तक शिक्षकों की ओर से 57 फीसदी विद्यार्थियों को फोन कर पढ़ाई का सच जाना जा चुका है।
ऐसे हो रही बच्चों की पढ़ाई
1. ऑनलाइन: वाट्सएप गु्रपों से जुडऩे वाले विद्यार्थियों को नियमित रूप से कंटेंट शिक्षकों की ओर से कक्षा के हिसाब से भेजा जा रहा है। विद्यार्थियों को प्रश्नोत्तरी सहित अन्य कार्यक्रमों के जरिए भी जोड़ा गया है।
2. ऑफलाइन: जिन विद्यार्थियों के अभिभावकों के पास मोबाइल नहीं है उनको शिक्षक रोजाना एक से तीन घंटे तक घर जाकर पढ़ाई करा रहे हैं। विद्यार्थियों को वर्कशीट के जरिए पढ़ाया जाता है। नियमित गृहकार्य भी दिया जा रहा है।
3. मिशन समर्थ: दिव्यांग विद्यार्थियों को उनकी सांकेतिक भाषा में पढ़ाई का ऑडियो व वीडियो कंटेंट अलग से उपलब्ध कराया गया है। ब्रेल में वर्कशीट दी जा रही है।
4. शिक्षा दर्शन, शिक्षावाणी: रोजाना 3.15 घंटे दूरदर्शन पर कक्षा छह से दस के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। रेडियो के जरिए भी विद्यार्थियों की रोजाना क्लास होती है।
प्रदेश का गणित
ऑनलाइन पढऩे वाले विद्यार्थी: 41.05 फीसदी
ऑफलाइन पढऩे वाले: 57.04 फीसदी
पढ़ाई से सोशल डिस्टेंस: 1.1 फीसदी
अब तक विभाग ने बच्चों को कॉल किए: 57 फीसदी
जिला ऑनलाइन ऑफलाइन
अजमेर 49.6त्न 49.9त्न
अलवर 42.3 56.8
बांसवाड़ा 16.2 83.1
बांरा 38.07 60.02
बाड़मेर 40.06 58.04
भरतपुर 31.4 67.9
भीलवाड़ा 48.0 51.00
बीकानेर 43.09 54.06
बूंदी 34.04 64.02
चित्तौडगढ़ 38.05 60.04
चूरू 51.5 47.08
दौसा 43.04 56.01
धौलपुर 30.5 68.9
डूंगरपुर 16.6 80.6
श्रीगंगानगर 54.1 44.3
हनुमानगढ़ 57.7 40.9
जयपुर 57.3 41.4
जैसलमेर 45.2 52.8
जालौर 48.3 50.1
झालावाड़ 36.9 62.5
झुंझुनूं 53.0 46.01
जोधपुर 53.08 45.0
करौली 24.07 74.6
कोटा 46.4 52.05
नागौर 50.6 48.4
पाली 42.4 55.3
प्रतापगढ़ 21.1 77.8
राजसमंद 41.4 57.2
सीकर 56.7 42.6
सिरोही 40.1 57.8
टोंक 44.0 55.1
उदयपुर 24.7 74.1
99 फीसदी विद्यार्थियों तक विभाग की पहुंच: निदेशक
कोरोना की दूसरी लहर के बाद शिक्षा विभाग की ओर से विद्यार्थियों को शिक्षा से जोडऩे के लिए बैक टू स्कूल कार्यक्रम शुरू किया गया। अब तक प्रदेश के 99 फीसदी विद्यार्थी ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से जुड़ चुके हैं।
सौरभ स्वामी, शिक्षा निदेशक
कोरोनाकाल में भी शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाई: शिक्षा मंत्री
कोरोना की वजह से जब सब कुछ लॉकडाउन हो गया था, उस दौर में विद्यार्थियों की पढ़ाई जारी रखना बड़ी चुनौती थी। लेकिन शिक्षा विभाग ने रेडियो व दूरदर्शन के साथ पढ़ाई में कई नवाचार किए। जनजाति क्षेत्र में बेटियों को लैपटॉप भी दिए जांएगे। -गोविन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री