सीकर-रींगस ट्रेक का कार्य अभी चल रहा है, लेकिन रींगस के प्लेटफार्म नंबर एक का क्रॉसिंग मिलान कर दिया गया है। पलसाना-रींगस ट्रेक का काम पूरा हो गया है। 26 अक्टूबर को इस ट्रेक का सीआरएस तय है। ऐसे में सीकर फुलेरा से जुड़ जाएगा। ऐसे में वाया फुलेरा बड़े रूट की गाडिय़ां चलाई जा सकती है।
मुंबई, अहमदाबाद, जोधपुर, अजमेर से सीधा जुड़ाव
-सीकर ट्रेक के फुलेरा जुड़ जाने से मुंबई, अहमदाबाद, जोधपुर व अजमेर सहित प्रमुख स्टेशनों से सीधा जुड़ाव हो जाएगा। फुलेरा होकर जयपुर भी गाड़ी चलाई जा सकती है।
-शेखावाटी क्षेत्र के अधिकतर लाखों प्रवासी मुंबई, अहमदाबाद, सूरत समेत प्रमुख शहरों में रहते हैं। लेकिन रेल सेवा की कमी उन्हें वर्षो से खल रही है।
-रेल के जानकारों का मानना है कि बीकानेर से चूरू, सीकर, फुलेरा व मुंबई ट्रेन आसानी चलाई जा सकती है। इसमें यहां के प्रवासियों के साथ रेलवे को भी फायदा होगा।
-हिसार से सीकर होते हुए फुलेरा-अहमदाबाद रेल चलाए जाने की भी योजना बनाई जानी चाहिए। फुलेरा जोधपुर, उदयपुर, चित्तोड़, अजमेर, जयपुर आदि प्रमुख स्टेशनों से सीधा जुड़ा हुआ है। इसका भी यहां के प्रवासियों को फायदा मिलेगा।
दो वर्ष बाद नए प्लेटफार्म पर आई ट्रेन
रींगस. रेलवे स्टेशन पर तैयार नए प्लेटफार्म संख्या एक पर मंगलवार को दो वर्ष बाद फिर टे्रन आई। फुलेरा क्रोसिंग को जोडऩे के बाद फुलेरा से रेवाड़ी जाने वाली शटल को इस प्लेटफार्म पर लाया गया। इस दौरान लोगों ने ट्रेन के लोको पायलेट रामकुमार मीणा, सहायक लोको पायलेट ललित कुमार व गार्ड सुनिल कुमार सैनी का माला पहनाकर स्वागत किया गया। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के नियंत्रण के लिए बनाए गए नए रिले कक्ष को टेस्टिंग के बाद शुरू कर दिया गया है। ट्रेक की टेस्टिंग के चलते फुलेरा रेवाड़ी ट्रेक पर ट्रेनों की आवाजाही को भी करीब चार घंटे तक बंद रखा गया।
जनता को करोड़ों रुपए का फायदा
सीकर-चूरू और लोहारू-दिल्ली ट्रेक ही शेखावाटी की जनता को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचा रहे हैं। सीकर से चूरू का बस का किराया 110 से 125 रुपए तक है। रेल का किराया महज 25 रुपए हैं। इस ट्रेक पर ही औसत तीन हजार यात्री प्रतिदिन ट्रेन का सफर करते हैं। ऐसे में हर माह औसत 90 लाख और प्रत्येक वर्ष दस करोड़ रुपए की यात्रियों को बचत होती है। ऐसी ही स्थिति सीकर-लोहारू-दिल्ली ट्रेक की है। जानकारों का मानना है कि रेलवे की पेंसेजर गाड़ी का रोडवेज से करीब चौथाया किराया होता है। एक्सप्रेस का रोडवेज से आधा किराया होता है।
एक हजार करोड़ का प्रोजेक्ट अंतिम चरण में
सीकर-रेवाड़ी, सीकर-चूरू और सीकर-जयपुर मीटरगेज को ब्रॉडगेज में परिवर्तन की घोषणा वर्ष 2007 के रेल बजट में की गई थी। उस समय 320 किलोमीटर का यह प्रोजेक्ट 620 करोड़ का था। लेकिन लागत बढ़ जाने से यह प्रोजेक्ट अब करीब एक हजार करोड़ रुपए का हो गया है। इस योजना पर काम वर्ष 2009 में शुरू हो पाया।
इसके बाद वर्ष 2012 में सीकर-लोहारू-दिल्ली के लिए दो गाडिय़ां चलाने की घोषणा की गई, लेकिन गाडियों का संचालन वर्ष 2015 में शुरू हो पाया। बाद में सीकर-चूरू ट्रेक पर गाडिय़ों का संचालन शुरू कर दिया गया। सीकर-पलसाना ट्रेक का सीआरएस के करीब पांच माह बाद सीकर-रींगस ट्रेक पर गाडिय़ों का संचालन शुरू नहीं हो पाया। अब सीकर से रींगस का ट्रेक भी तैयार हो गया है। रींगस-जयपुर ट्रेक का काम चल रहा है। इस कार्य को मार्च 2019 तक पूरा किया जाना है।
रींगस में क्रोसिंग का मिलान कर दिया गया है। पलसाना-रींगस ट्रेक पर 26 अक्टूबर को सीआरएस होगा। सीआरएस की रिपोर्ट आने के बाद ही सीकर-रीगस-फुलेरा मार्ग पर गाडिय़ों का संचालन किया जा सकता है। अभी तक कोई योजना तय नहीं है।
– तरूण जैन, पीआरओ, जयपुर