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किसानों की हुंकार...झुक जाती है सरकार

locationसीकरPublished: Jan 01, 2023 12:40:23 pm

Submitted by:

Puran Shekhawat

सीकर के किसान तय करते हैं देश में आंदोलन की दिशा

अनुशासन और रणनीति से सरकार को झुकाने का जज्बा शेखावाटी के किसान तय करते हैं देश में आंदोलन की दिशा
भूमिपुत्रों के हक के लिए देश में होने वाले आंदोलनों की दिशा और जीत में शेखावाटी के किसानों की भूमिका अहम रही है।

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अनुशासन और रणनीति से सरकार को झुकाने का जज्बा शेखावाटी के किसान तय करते हैं देश में आंदोलन की दिशा
भूमिपुत्रों के हक के लिए देश में होने वाले आंदोलनों की दिशा और जीत में शेखावाटी के किसानों की भूमिका अहम रही है। यही कारण है कि देश के किसी भी कोने में होने वाले आंदोलन में यहां के किसान की अहम भूमिका मानी जाती है। पचास डिग्री तक गर्मी और जमाव बिन्दू से नीचे के तापमान को सहने वाला सीकर के किसान ने अपने हक के लिए घर-बार छोड़ कर जब-जब आंदोलन की राह पकड़ी है वे आंदोलन पूरी तरह सफल हुए हैं। किसानों की अपनी ललकार से सरकार तक को झुकना पड़ा। चाहे वो जयपुर में महापड़ाव हो या सीकर से जयपुर तक रैली के जरिए जाना हो। किसान नेताओं की माने तो इन सभी आंदोलनों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण शेखावाटी के किसानों की सोच का विस्तृत होना, अनुशासन और एक-दूसरे पर भरोसा होना रहा है। इस कारण यहां का किसान मौजूदा परिस्थितियों के अलावा विपरीत हालात का डटकर मुकाबला करता है और इस कारण सत्ता के गलियारों में हड़कम्प मच जाता है।
विधानसभा को घेरा
प्रदेश में वर्ष 2000 में बिजली बिलो के ज्यादा आने के विरोध में एक फिर किसानों ने हुंकार भरी और वे गांव व ढाणियों से कूच करके सीधे जयपुर की विधानसभा में पहुंच गए। उस समय विधानसभा भी चल रही थी। ऐसे में किसानों ने विधानसभा के चारों गेट को बंद किया और गेट के बाहर की धरने पर बैठे। चार घंटे की जद्दोजहद के बाद सरकार के मंत्री आए और उन्होने किसानों की मांगों को पूरा किया। इसके बाद ही आंदोलनरत किसान वहां से हटे।
हुकांर से हिले हुक्मरान
वर्ष 2005 में बिजली की दरों को बढ़ाने के बाद किसानों के सामने बिजली के बिल चुकाना तक मुश्किल हो गया। ऐसे में किसानो ने जयपुर में अमरूदों के बाग में पड़ाव दिया तो राजधानी में चारों तरफ किसानों के समूह नजर आने लगे तो सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई। किसी तरह का आश्वासन नहीं मिलने के बाद किसानों ने जब तत्कालीन सीएम के आवास पर पड़ाव देने की घोषणा की तो फौरन सरकार झुकी और दरों को वापस लेने के आदेश दिए।

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