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इस दौरान लाखों की नौकरी का अवसर भी मिला, जिसे छोडकऱ खेती में घाटे के कारणों का अध्ययन किया और लीक से हटकर फसल करने की बजाए महज पौध तैयार करना शुरू कर दिया है। महेश हर साल दो बार विभिन्न फसलों की पौध तैयार करते हैं। जिसके लिए महेश 4 से पांच लाख रुपए खर्च करते हैं। दावा है कि महज 45 दिन में तैयार होने वाली पौध से मिलने वाले शुद्ध मुनाफा 12 से 17 लाख रुपए तक है। औसतन 15 लाख रुपए की कमाई 45 दिन की मेहनत से हो जाती है। इस मुनाफे ने आस-पास के किसानों को हतप्रभ कर दिया है।
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Jhigar Badi village” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/10/31/sikar_farmer_at_jhigar_badi_3649335-m.jpg”>किसानों के लिए बने प्रेरणा
शेखावाटी में गिरते भूजल और माटी की बदलती तासीर के कारण महेश हजारों किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। इसके लिए दूसरे जिलों के किसान इस नई पद्धति को देखने के लिए झीगर आ रहे हैं।
प्रदेश के हजारों किसान पौध लेने के लिए झीगर आते हैं और खास बात है कि पौध की टिकाव क्षमता ज्यादा होने के कारण सभी किसान एडवांस राशि देकर बुकिंग करवाते हैं।
महेश दो तरीके से पौध तैयार करते हैं। प्रत्येक बैच में 35 हजार रुपए किलोग्राम तक के हाइब्रिड व देसी बीज का उपयोग करते है। एक किलोग्राम बीज से एक लाख बीस हजार पौधे कोकोपिट की टे्र में तैयार होते हैं।
इसके लिए कोकोपिट दक्षिण भारत से मंगवाया जाता है। शेडनेट में तैयार इस ट्रे के प्रत्येक पौधे को एक रुपए 60 पैसे में व जमीन पर तैयार पौध को एक रुपए में प्रति पौधा के हिसाब से बेचा जाता है।
खेतों तक जाकर देते हैं प्रशिक्षण
कोयम्बटूर और महाराष्ट्र की तर्ज पर खेती की लागत कम करने और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए महेश इच्छुक किसानों के खेतों में जाकर निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं। इसके लिए महेश इन किसानों को अपने खेत में बुलाकर भ्रमण कराते हैं। इसके अलावा किसान हर साल शेखावाटी की आबोहवा के अनुसार पारम्परिक फसल और उसकी पौध पर खेत में रिसर्च करते हैं।
इनका कहना है…
महेश खेती में नवाचार कर अच्छी आमदनी ले रहे हैं। खेती की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कोकोपिट ट्रे में उपज तैयार करना एक अच्छी विधि है। इससे अन्य किसानों को प्रेरणा लेनी चाहिए। कोकोपिट में पौध तैयार करने पर पौधे का जीवितता प्रतिशत बढ़ जाता है।
-एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि, सीकर