…और गोपीनाथ जी बन गए सीकर के राजा
इतिहाकारों के अनुसार राव दौलत सिंह के बाद शिवसिंह राव बने तो उन्होंने गोपीनाथजी का बड़ा मंदिर बनाने की योजना बनाई। लेकिन, धन की कमी थी। इसी बीच काबूल से सीकर होकर आगरा जा रहे चांदी लदे ऊंटों को उन्होंने घर आई लक्ष्मी बताते हुए अपने अधीन कर लिया। जिसकी शिकायत दिल्ली दरबार पहुंची तो जां निसार खां की अगुआई में एक सेना सीकर के लिए कूच करवा दी गई। जो जयपुर महाराजा सवाई जयसिंह के हस्तक्षेप से वापस लौट गई। इस संकट को दूर करने में गोपीनाथजी की ही कृपा मानते हुए राव शिव सिंह ने इसके बाद सीकर के परकोटे व हर्ष के शिवालय के साथ गोपीनाथजी का मौजूदा मंदिर बनाया और बंगाल की वही मूर्ति स्थापित कर उन्हें सीकर का राजा घोषित कर दिया। कहते हैं कि तभी से गोपीनाथजी सीकर के राजा कहला रहे हैं।