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OMG! 01 साल में लिए 77 नमूने, मिली मात्र 15 की रिपोर्ट

locationनई दिल्लीPublished: Jun 16, 2017 11:01:00 am

Submitted by:

dinesh rathore

बीमारी को दूर करने के लिए ली जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता भगवान भरोसे है। इसकी बानगी है कि औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से एक वर्ष में एंटीबायोटिक, पेनकिलर, एलर्जी, नर्वस सिस्टम सहित 77 प्रकार दवाओं के नमूने लिए गए, लेकिन रिपोर्ट महज 15 नमूनों की ही आई है।

बीमारी को दूर करने के लिए ली जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता भगवान भरोसे है। इसकी बानगी है कि औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से एक वर्ष में एंटीबायोटिक, पेनकिलर, एलर्जी, नर्वस सिस्टम सहित 77 प्रकार दवाओं के नमूने लिए गए, लेकिन रिपोर्ट महज 15 नमूनों की ही आई है। जिनमें से भी चार प्रकार की दवाओं के नमूने फेल हो गए हैं। अभी भी बाजार में बिक रही दवाओं की रोकथाम के लिए कोई प्रावधान नहीं है। एेसे में मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। औषधि नियंत्रण विभाग ने एजीथ्रोमाइसिन, सिफेक्सिम, ओफालॉक्सिन, सीफाडोक्सामिन, सीप्रोफॉलोक्सोसिन साल्ट की एंटीबायोटिक, डाइक्लोफिनेक, एसीक्लोफिनेक, निम्मूस्लाइड, पैरासिटामोल साल्ट की दर्द निवारक दवा, बीपी और ह्दय रोग की एम्लोडिपिन साल्ट, पेट दर्द के लिए मिफेनिक एसिड, ड्रॉटावेरी, एलर्जी के लिए सिट्रेजिन, लीवोसिट्रेजिन, एसीडिटी के लिए डॉमपेरिडोन, ओमीप्राजोल, रेबीप्राजोल, पेंटाप्राजोल, विटामिन बीकाम्पलेक्स, विटामिन डी थ्री, केल्सियम, नर्वस सिस्टम के लिए प्र्रेगाबेटिन, गाबापेंटिन, मिथाइल कोबालमिन, सांस के लिए साल्मुबुटामोल, मधुमेह के लिए मेटफॉरमिन, बिल्डाग्लिपरीन, जीवन रक्षा के लिए बीटामिथासोन, भूख बढ़ाने के दवा स्प्रिरारेपिटाजिन साल्ट की ब्रांडेड व जैनरिक दवाओं के नमूने लिए हैं। इन दवाओं की बिक्री बाजार में खुलेआम हो रही है। 
अप्रेल 2016 से मार्च 2017 के दौरान जिले में दवाओं के 77 नमूने लिए गए। विभाग ने नमूनों को जांच के लिए जयपुर स्थित लैब में भेज दिया। जहां से मिली रिपोर्ट के अनुसार चार नमूने फेल हो गए। जिनकी बिक्री की रोकथाम तो कर दी गई लेकिन शेष नमूनों वाली दवाओं की बिक्री रोकने के लिए ध्यान तक नहीं दिया गया। नतीजन रिपोर्ट आने तक उक्त बैच वाली अधिकांश दवाओं की खपत बाजार में होने की आशंका है। 
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90 हजार प्रकार की दवाएं 

देश में 10 हजार पांच सौ से ज्यादा दवा कम्पनियां है। जो 90 हजार प्रकार की दवाएं बनाती है। इसे देखते हुए औषधि नियंत्रण विभाग हर वर्ष जिले में प्रचलित ब्रांडेड और जैनेरिक दवाओं के नमूने लेता है। इन नमूनों की रिपोर्ट के अनुसार दोषी फर्म के खिलाफ कार्रवाई होती है। सूत्रों के अनुसार सीकर जिले में अधिकांश दवाओं की आपूर्ति उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश की कम्पनियों की जरिए की जाती है। जिनके पते तस्दीक तक नहीं किए जा सकते हैं। 
विभाग की ओर से हर वर्ष दवाओं के नमूने लिए जाते हैं। एक ही लैब होने के कारण कई बार दवाओं की रिपोर्ट आने में देरी हो जाती है। नमूने अवमानक मिलने पर ही दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई जा सकती है।
मनोज कुमार गढ़वाल, औषधि नियंत्रण अधिकारी

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