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कड़ाके की सर्दी के कारण पूरा सीकर थर-थर कांप रहा है। दांत किटकिटा रहे हैं, तो हड्डियां अकड़ रही है। दूरे बैठे लोग तक सीकर की सर्दी का सितम सुनकर सिहर रहे हैं। लेकिन, कडकड़़ाते इस जाड़े में भी कुछ शख्स ऐसे हैं जो न केवल उससे जंग लड़ रहे हैं बल्कि, उस समय सर्दी को मात दे रहे हैं जब न्यूनतम पारे के साथ सर्दी सबसे ताकतवर होकर हमलावर हो रही है। आज हम ऐसे ही योद्धाओं को आपसे मुखातिब कराते हैं, जिन्हें ‘सर्दी का सूरमा’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
किसान
पालामार सर्दी को मात देने में सबसे आगे किसान है। जो रात के समय बर्फ में तब्दील हो रहे पानी के बीच फसलों की सिंचाई करते हैं। कई बार तो हालात यह हो जाते हैं कि सिंचाई करते समय भीग जाते हैं और ठिठुरते हुए रात बितानी पड़ती है।
दूध वाले
सुबह चार बजे उठकर पशुओं का दूध निकालते हैं और लोगों की आंख खुलने से पहले शहरों व कस्बों में चले जाते हैं। बजरंगलाल चंदपुरा से रवाना होकर पांच बजे रवाना होते हैं और करीब आठ बजे तक शहर की गली मोहल्लों में जाकर दूध की सप्लाई करते हैं। शाम को छह बजे चंदपुरा से सीकर आकर दूध की सप्लाई और रात नौ बजे ठिठुरते हुए घर जाते हैं।
टैक्सी चालक
जब लोग घरों में दुबके होते हैं उस समय पूरी रात टैक्सी स्टैंड पर मौजूद रहते हैं। बकौल टैक्सी चालक प्रहलाद स्वामी पिछले 12 साल से बस व रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को उनके घर तक पहुंचा रहे हैं। इस दौरान टैक्सी की सुविधा कम होने के कारण कई बार तो आस-पास के गांव या ढाणी तक यात्रियों को छोडकर आते हैं।
बस चालक
सर्दी को मात देते हुए बस के चालक व परिचालक खुद में पहले योद्धा है। जब न्यूनतम पारा अपने चरम पर होता है। जिस समय लोगों की कंपकंपी छूट जाती है उस समय चालक पूरी रात बस चलाते है। रोडवेज बस के चालक महेश ढाका ने बताया कि सीकर डिपो के पांच दर्जन से ज्यादा चालक व परिचालक रोजाना दिल्ली, हरियाणा या पंजाब मार्ग पर जाते हैं। इन क्षेत्रों में धुंध व कोहरे के बावजूद बस को ले जाते हैं।