Sikar nagar parishad Election Results : निकाय चुनाव में जीत के जोश और उल्लास के बीच सीकर में कांग्रेस संभावित विद्रोह से डर गई है। नगर परिषद ( sikar nagar parishad Board ) में बोर्ड बनाने के लिए पूर्ण बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस ( Congress ) ने अपने पार्षदों को कैद कर लिया है। यहां तक की उन्हें मतगणना स्थल पर प्रमाण-पत्र और शपथ लेने के लिए भी नहीं लाया गया। निर्वाचन से जुड़े अधिकारी और पार्षदों के समर्थक रात तक उनका इंतजार करते रहे। वहीं कांग्रेस नीमकाथाना में भी पूरी सतर्क ता बरत रही है। सीकर में कांग्रेस ने 65 में से 36 सीटों पर कब्जा जमाया है। भाजपा यहां पर 18 सीट जीतने में कामयाब हो पाई। माकपा ने भी एक सीट जीत कर नगर परिषद में फिर वापसी की है। दस सीटों पर निर्दलीय विजेता रहे। नई नगर पालिका खाटूश्यामजी पर भाजपा ने पहली बार में ही पांव जमा लिए हैं। नीमकाथाना में कांग्रेस 35 में से 19 सीट जीत कर पूर्ण बहुमत साबित किया है। खाटूश्यामजी नगर पालिका के 20 वार्डों में से भाजपा ने 11 सीट जीती है। यहां पर कांग्रेस महज तीन सीट पर सिमट गई। छह सीट अन्य के खाते में गई है।
चौमूं से पुष्कर पहुंचे कांग्रेस के पार्षद
निकाय चुनाव की मतगणना के बाद बाड़ाबंदी में बंद कांग्रेस के पार्षदों को मंगलवार शाम चौमूं से पुष्कर ले जाया गया। निकाय के इतिहास में यह पहला मौका है जब मतगणना के बाद कांग्रेस के जीते हुए पार्षद शपथ लेने भी नहीं आए हो। इसकी वजह यह है कि टिकट वितरण और प्रचार के बाद सभापति पद के चयन की कमान भी विधायक राजेन्द्र पारीक अपने पास ही रखना चाहते हैं।
सीकर में आज तक नहीं बना भाजपा का बोर्ड, इस बार भी कांग्रेस ने कायम रखा इतिहास
दो बार सभापति की परंपरा
कांग्रेस के कब्जे वाली सीकर नगर परिषद में दो बार सभापति रहने की परंपरा रही है। सलमा शेख और हनीफ खत्री दो-दो बार सभापति रहे। जीवण खां को विधायक राजेन्द्र पारीक का नजदीकी माना जाता है। ऐसे में यह बाड़ाबंदी उन्हें फिर से सभापति बनाने के लिए की जा रही है। साथ ही यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि भाजपा कहीं सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो जाए।
अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को टिकट दिए और खुद का वार्ड ही नहीं बचा पाए विधायक
लगातार 15वीं बार कब्जा
सीकर नगर परिषद बोर्ड पर कांग्रेस आजादी के बाद से ही काबिज है। कांग्रेस ने इस बार 15वीं बार बोर्ड पर कब्जा किया है। वहीं भाजपा के सांसद सुमेधानंद, जिलाध्यक्ष विष्णु चेतानी, पूर्व विधायक रतन जलधारी और यूआईटी के पूर्व चेयरमैन हरिराम रणवां की संयुक्त रणनीति काम नहीं आई। इसका प्रमुख कारण टिकट वितरण में खामी माना जा रहा है। हालांकि यह स्थिति कांग्रेस में भी रही है।